
वैसे तो दमन-दीव वन संरक्षक एवं प्रदूषण नियंत्रण समिति के सदस्य सचिव देबेन्द्र दलाई पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के कई आरोप लगे लेकिन हालही में प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा दमन में स्थित वेलनोन पॉलिएस्टर लिमिटेड पर लिए गए संज्ञान को लेकर यह चर्चाएँ है की दर्जनों शिकायतों एवं अनियमितताओं के बाद जहां केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति के संज्ञान पर व निर्देश पर दमन-दीव प्रदूषण नियंत्रण समिति ने उक्त इकाई पर संज्ञान लेते हुए उक्त इकाई को नोटिस थमाया वहीं दूसरे ही पल उक्त इकाई से गुड खाकर अपनी जेबे गरम कर ली, अब इस मामले में कितनी हकीकत है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन सूत्रों का कहना है की वेलनोन कंपनी से देबेन्द्र दलाई ने रिश्वत लेकर ही उक्त इकाई को पुनः शुरू करने की स्वीकृति दी है (रिवोकेशन किया है) ! अब इस मामले में प्रशासक, देबेन्द्र दलाई तथा पीसीसी के अध्यक्ष पर क्या कार्यवाई करते है यह तो समय ही बताएगा, लेकिन वेलनोन पॉलिएस्टर लिमिटेड को क्लोज़र नोटिस देने तथा क्लोज़र नोटिस देने के बाद रिवोकेशन करने, इन दोनों मामलों की सत्ता और अधिकार पीसीसी के अध्यक्ष के पास रहते है तथा सदस्य सचिव अपनी मर्जी से ना ही क्लोज़र नोटिस जारी कर सकते है ना ही रिवोक कर सकते है तो ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा की दमन विलनोन पॉलिएस्टर लिमिटेड को मिले क्लोज़र नोटिस के साथ साथ रिवोकेशन मामले तक में पीसीसी अध्यक्ष शामिल है! Read More Daman News on Kranti Bhaskar
क्लोज़र और रिवोकेशन दोनों का पावर अध्यक्ष के पास!
अब इस मामले को देखकर लग रहा है की या तो देबेन्द्र दलाई ने पीसीसी के अध्यक्ष को अंधेरे में रखकर वेलनोन पॉलिएस्टर लिमिटेड से अकेले ही करोड़ों की मलाई खा ली या फिर इस मामले में पीसीसी के अध्यक्ष भी शामिल है लेकिन इन दोनों सवालों का जवाब तो तब सामने आएगा जब इस मामले से अनभिज्ञ व ईमानदार अधिकारी इस मामले में संज्ञान ले।