पोथीयात्रा के साथ श्रीमद् भागवत कथा शुरू, ९ फरवरी तक विभिन्न धार्मिक प्रसंगों का आयोजन 

पोथीयात्रा के साथ श्रीमद् भागवत कथा शुरू, ९ फरवरी तक विभिन्न धार्मिक प्रसंगों का आयोजन  | Kranti Bhaskar
संघ प्रदेश दमण में वसंत पंचमी के पावन पर्व पर बुधवार से माछी महाजन, नानी दमण की 47वीं श्रीमद् भागवत कथा का विधिवत श्रीगणेश हो गया है. इस अवसर पर सुबह में सत्यनारायण मंदिर से श्रीमद् भागवत कथा का आशीर्वाद लेकर पोथीयात्रा शुरू हुई. इसमें मुख्य यजमान, बोराजीवा शेरी से होते हुए यह पोथीयात्रा माछी समाज की शेरियों में भ्रमण की. बोराजीवा शेरी में पोथी यात्रा की शुरुआत के मौके पर बोराजीवा के निवासी एवं माछी युवा अग्रणी अशोक काशी सहित के लोगों की मौजूदगी रही. माछी समाज के कुलगुुरु महंत गोपाल दास जी और कथाकार रामेश्वर बापू हरियाणी की अगुवाई में पोथीयात्रा आगे बढ़ी. माछी शेरियों का परिभ्रमण करने के बाद पोथीयात्रा माछी महाजन हॉल पहुंची. जहां माछी समाज के अग्रणियों ने पोथीयात्रा का स्वागत किया. इसके बाद दीप प्रज्जवलन तथा पोथी पूजा और आशीवर्चन के पश्चात प्रथम दिन महात्म्य पाठ और उत्तरा प्रार्थना हुई.
इस अवसर पर कथाकार रामेश्वर बापू ने उपस्थित भक्तों को श्रीमद् भागवत कथा का महात्म्य बताते हुए कहा कि इस कथा के श्रवण मात्र से जीव भव सागर से पार हो जाता है. जीवन में सौ काम छोड़कर गंगासागर स्नान और हजार काम छोड़कर श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना चाहिये. क्योंकि ये दोनों जीव का कल्याण करते हैं. ज्ञात हो कि बुधवार से शुरू हुई यह भागवत कथा आगामी एक सप्ताह तक रोजाना दोपहर तीन बजे से शुरू होकर शाम तक जारी रहेगा. कथा के अंतिम दिन ९ फरवरी को सुबह नौ बजे से ग्यारह बजे तक कथा का आयोजन होगा. भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में आज २ फरवरी को दोपहर में वारह अवतार, ३ फरवरी को कपिल उत्सव, ध्रूव चरित्र, ४ फरवरी को जड़ भरत चरित्र, नरसिंह अवतार, ५ फरवरी को गजेंद्र मोक्ष, वामन अवतार, अंबरीश उपाख्यान, श्री राम अवतार, श्री कृष्ण अवतार, ६ फरवरी को श्रीकृष्ण लीला, गोवर्धन पूजा, ७ फरवरी को सुबह सत्यनारायण भगवान की समूह कथा और दोपहर को रासलीला, ८ फरवरी को दोपहर में रुक्मिणी विवाह, सुदामा चरित्र और फिर आगामी ९ फरवरी को सुबह कलिकाल वर्णन, परीक्षित मोक्ष, भागवत महात्म्य कथा प्रसंग होंगे और कथा की पूर्णाहुति होगी. नौ फरवरी की सुबह ११ बजे महाप्रसाद शुरू होगा. बुधवार को निकाली गयी पोथीयात्रा के समय माछी समाज के अग्रणियों की मौजूदगी रही.