लखनऊ – 12 अक्तूबर 2020 – सूचना का अधिकार कार्यकर्ता वेलफेयर असोशिएशन के सचिव हरपाल सिंह ने बताया की उत्तरप्रदेश सूचना आयोग व सरकारी सरंक्षण पाकर विभागो के लोक सूचना अधिकारी आरटीआई एक्ट का विचलन कर समय से वांछित सूचनाए न देकर विद्युत कार्पोरेशन रूपए 550/-, नगर निगम रुपए 1600/- तथा जल निगम रुपए 1700/- अधिवक्ताओ को फीश एवं परिश्रमिक देकर अपने स्थान पर उनसे आयोग में पैराकरी कराने का देशद्रोह सरीखा आपराधिक कृत्य कर रहे है। इस कृती के लिए उनके विरुद्ध धारा 20(1) के तहत रूपए 25000/- तक अधिकतम आर्थिक दण्ड अधिरोपित करने के साथ धारा 20(2) के तहत विभागीय कार्यवाही भी होनी चाहिए, जो आयोग द्वारा नहीं की जा रही है। कतिपय मामलो में अधिरोपित आर्थिक दण्ड को विधि विरुद्ध माफ कर सूचना आयुक्तों द्वारा प्रतिमाह लाखो की शासकीय आर्थिक क्षति पहुचाई जा रही है। आयोग मे नामित अधिवक्तागण सूचना आयुक्तों की तरह ही सूचना मांगने वाले आवेदको को आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक प्रताडना दे रहे है। इसी प्रकार सूचनादाता अधिकारियो द्वारा समस्त नियमो को ताक पर रखकर आवेदन में सलग्न रुपए 10/- का आवेदन शुल्क बिना सूचना दिये ही गबन कर रहे है, जो लोकतन्त्र की हत्या है।
आरटीआई कार्यकर्ताओ को हत्या करने की धमकिया दी जा रही है, परंतु उनकी एफआईआर तक दर्ज नाही की जा रही है, जिनकी एफआईआर अथक प्रयास से दर्ज हुई है उनकी विवेचना में हीला हवाली की जा रही है। शासन-प्रशासन द्वारा आरटीआई कार्यकर्ताओ को उनके द्वारा सुरक्षा मांगने पर भी सुरक्षा प्रदान नहीं की जा रही है। जिसके विरोध में एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार गोयल के नेतृत्व में दिनांक 12.10.2020, सोमवार क प्रदेश की राजधानी, लखनऊ के ईको गार्डन, आलमबाग में दोपह 12:00 बजे से अनिश्चितकालीन शांतिपूर्ण धारना प्रारम्भ कर जिला/पुलिस प्रशासन के माध्यम से उत्तर प्रदेश के माननीय राजपाल, उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय मुख्यमंत्री, माननीय वित्तमंत्री, माननीय ऊर्जामंत्री, माननीय कानूनमंत्री, नगर विकासमंत्री, माननीय आवास एवं शहरी नियोजन, माननीय शिक्षामंत्री व मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ को 5 सूत्रीय मांग-पत्र/ज्ञापन दिया गया।
मुख्य मांगें निम्म्न प्रकार है-
- नियत समावधि में आवेदनो का अंतरण न करने वाले तथा संतोजनक सूचना न देने वाले सूचनादाता अधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही करते हुये उसकी प्रविष्टि उनकी सेवा पुस्तिका में अंकित की जाए।
- जो लोक सूचना अधिकारी सूचना आयोग में स्वयं न आकर अधिवक्ताओ को व्यवसाय हेतु सूचना के मामलो की पैरोकारी में भेजकर प्रशासनिक एवं वित्तीय अनिमित्ता कर शासन को करोड़ो रुपए की आर्थिक क्षति पाहुचा रहे है, जिसके बीजको पर तत्काल रोक लगाकर इसकी जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग या सीबीआई या विशेष जांच दल इत्यादि गठित करके वैधानिक कार्यवाही की जाये।
- उक्त लोक सूचना अधिकारियों के द्वारा वित्तीय अनिमित्ता के तहत आयोग में सुनवाई के नाम पर जो शासकीय धन का गबन किया गया है, उसकी उनसे शतप्रतिशत क्षतिपूर्ति कराते हुये देशद्रोह की धाराओ में पुलिस प्राथमिकी दर्ज कराकर कार्यवाही की जाए।
- उक्त प्रकार आरटीआई एक्ट के प्रावधानों तथा मैनुअल आफ गवर्नमेंट ओडर्स, संस्करण-1964 के अनुछेद – 225 में प्रतिपादित सिद्धांत का खुला उल्लंघन कर विधिव्यवसायो को फीश एवं पारिश्रमिक के नाम पर सरकारी धन लौटाने वालो तथा अधिनियम के क्रियान्वयन में बाधा पहुॅचाने वालो पर देशद्रोह की धाराओं में मुकदमा चलाया जाए।
- जिन आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या की धमकी की पुलिस प्राथमिकी अभी तक भी दर्ज नहीं की जा रही है उनकी तत्काल पुलिस प्राथमिकी दर्ज कराते हुए पुलिस प्राथमिकी दर्ज न करने वाले पुलिस अधिकारियों को चिन्हित करके उनके विरूद्ध विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही की जाये तथा आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के संबंध में जारी शासनादेश दिनांक 08.03.2016 का अनुपालन सुनिश्चित कराया जायेग।
जबतक उक्त 5 सूत्रीय ज्ञापन/मांग पत्र पर तत्काल कार्यवाही करते हुए समस्याओं का निराकरण कर एसोसिएशन को अवगत नहीं कराया जाता है तबतक एसोसिएशन शान्तिपूर्ण धरना जारी रखने के लिए बाध्य होगा।
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