
लोकसभा चुनाव की इस गहमागहमी में भी दमण-दीव आबकारी विभाग इतना लापरवाह हो सकता है यह किसी ने नहीं सोचा होगा। अगर सूत्रो की माने तो ऐसा माना जा सकता है की इन दिनों दमण-दीव के अधिकांश बार एण्ड रेस्टोरेन्ट तथा वाइन शॉप बिना लाइसेन्स रिनयू के शराब बिक्री कर रहे है। ख़बर अजीब सी लग रही है मगर यह सच है। ख़बर लिखने से पहले पाठको को हम आबकारी नियमों की जानकारी दे देते है ताकि उन्हे समझने में आसानी हो।
जैसा की आपको पता है गोवा दमण दीव आबकारी अधिनियम के तहत प्रत्येक वर्ष की 31 मार्च तक सभी बार एण्ड रेस्टोरेन्ट तथा वाइन शॉप को अपने लाइसेन्स रिनयू करवाने पड़ते है और लाइसेन्स रिनयू की फीस जमा करानी होती है, अन्यथा उनके ऊपर नियमानुसार कार्यवाही की जा सकती है और आबकारी विभाग द्वारा नोटिस देकर लाइसेन्स भी रद्द किया जा सकता है।
गोवा दमण दीव आबकारी अधिनियम कहता है कि अगर बार एण्ड रेस्टोरेन्ट तथा वाइन शॉप के मालिको ने लाइसेन्स रिनयू के लिए फीस नहीं भरी और लाइसेन्स रिनयू नहीं कराया तो 1 अप्रेल से आबकारी विभाग उन्हे नोटिस भेज कर लाइसेन्स रद्द करना शुरू कर देगा। लेकिन ताज्जुब की बात है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ 31 मार्च निकल गई और 10 अपेल आ गई।
इन 10 दिनों तक लाइसेन्स रिनयू के बिना, कितने वाइन शॉप तथा बार एण्ड रेस्टोरेन्ट ने कितनी शराब बेची, इसकी जानकारी तो आबकारी विभाग के पास होगी। लेकिन 10 दिनों तक लाइसेन्स रिनयू के बिना शराब बेचने का क्या दण्ड है इसका पता लगाने के लिए अब अधिकारियों को पुनः नियम ठीक तरह से पढ़ लेने चाहिए। क्यो की मामला लाइसेन्स रिनयू के बिना साइकल चलाने का नहीं है, मामला लाइसेन्स रिनयू के बिना शराब बेचने का है। यदि मामला लाइसेन्स रिनयू के बिना साइकल चलाने का होता और साइकल के लिए भी लाइसेन्स अनिवार्य होता तो उसके लिए विभाग कैसी कठोर कार्यवाही करता यह जनता जानती है।
बताया जाता है कि दमण में होलसेल के 50, वाइन शॉप के 45 और बार एण्ड रेस्टोरेन्ट एवं होटल के 350 लाइसेन्स है। यानि कुल मिलकर 445 लाइसेन्स है। जानकारी के अनुसार लगभग सभी लाइसेन्स धारको ने लाइसेन्स रिनयू के लिए अपना अपना आवेदन विभाग को दे दिया है। लाइसेन्स रिनयू के लिए आवेदन किसने कब दिया यह तो पता नहीं, लेकिन सूत्रो का कहना है की कुल लाइसेंसो में से अब तक केवल 80 से 100 लाइसेन्स ही रिनयू हुए है बाकी लाइसेन्स धारक अभी भी बिना लाइसेन्स रिनयू के शराब की बिक्री कर रहे है। क्या यह मुमकिन है? क्या यह हो सकता है? क्या आबकारी नियम इसकी इजाज़त देते है? इन सवालो का जवाब तो प्रशासन ही दे सकती है।
अगर गुजरात में यह गोरख धंधा हुआ होता तो अब तक कइयों पर पासा लग चुकी होती।
वैसे चुनाव आयोग को भी इस और ध्यान देने की आवश्यकता है। चुनाव में वोटरो को शराब परोसने के मामले में प्रतिबंध लगाने की बात करने वाली प्रशासन यह क्या कर रही है? लाइसेन्स रिनयू के बिना इस चुनावी समय में, बार एण्ड रेस्टोरेन्ट तथा वाइन शॉप को शराब बिक्री करने की यह खुली छूट, किसके कहने पर दी जा रही है? दमण दीव आबकारी विभाग द्वारा अभी तक लाइसेन्स रिनयू का कार्य पूर्ण नहीं हुआ, जबकि दादरा नगर हवेली के सभी लाइसेन्स रिनयू किए जा चुके है। दमण-दीव आबकारी विभाग के अधिकारी चुनाव में व्यस्तता का हवाला देकर क्या साबित करना चाहते है? दमण-दीव और दादरा नगर हवेली की चुनावी दिनांक एक ही है फिर क्या कारण है की अब तक दमण-दीव के बार एण्ड रेस्टोरेन्ट और वाइन शॉप के लाइसेन्स रिनयू नहीं हो पाए?
दमण दीव आबकारी विभाग ऑनलाइन से लेस है उनके पास पिछले लोकसभा की तुलना में अधिक अधिकारी भी है, इसके बाद भी इतनी लापरवाही का कारण क्या है? क्या चुनाव का हवाला देकर आबकारी विभाग अपनी नाकामी छुपा रहा है या वह पिछले दरवाजे से इन काला बाजरियों से रोकड़ा बना रहा है? सच जो भी हो सामने आना चाहिए और सच सामने लाने के लिए जांच आवश्यक है।