हालही में क्रांति भास्कर को जो जानकारी मिली है वह जनता और प्रशासन दोनों के लिए होश उड़ाने वाली है, बताया जाता है की दमन जिला पंचायत के अध्यक्ष सूखा पटेल की मदद से, सूखा पटेल के कुछ खास आदमी जिनके कतिथ नाम, केतन पटेल, दीपक काका, भरत एम पटेल, मोहन काका, सलीम, प्रकाश (उर्फ पकिया), बबलू राय अरुkण दुबे, रंजन कुमार शर्मा तथा जावेद है, इनमे से केतन पटेल सूखा पटेल के साले बताए जाते है। इनके द्वारा तथा इनको आगे कर, सूखा पटेल दमन में अपनी मनमानी मर्जी से अपना राज़ अपनी शर्तों पर चला रहे है जिसकी जानकारी से अब तक प्रशासन महरूम है, मिली जानकारी के अनुसार जिन कथित नामों का जिक्र किया गया है तथा इनके कारोबार एवं इनके कारगुजारियों की फेहरिस्त इतनी लंबी है जिसे किसी एक अध्याय में समेटना बामुश्किल है क्रांति भास्कर अपने आने वाले अंकों में इस मामले में अपनी विस्तृत खबर प्रकाशित करेगी। फिलवक्त आपको यह बता दे की आखिर मामला क्या है।
मामला है आम आदमी का, और उसकी रोजी रोटी का, फिर चाहे वह एक कंपनी का मालिक हो, ठेकेदार हो, या मजदूर हो, या सड़क किनारे कोई लारी (ठेला) लगाने वाला ही क्यों ना हो। किसी की भी आजीविका पर कोई तिरछी नज़र रखे तो शायद किसी को गवारा नहीं होगा, तथा आजीविका के साथ साथ यदि किसी की आजीविका के साथ खिलवाड़ या किसी प्रकार का दबाव भी किसी को गवारा ना होगा, लेकिन पिछले कुछ दिनों से दमन भीमपोर की आम जनता,तथा अपनी रोजी रोटी के लिए बाहर से यहां व्यवसाय करने आए लोगों के साथ कुछ ऐसी घटनाए देखी और सुनी गई जिसे देख कर या सुनकर कोई भी भोच्चक्का रह जाएगा, बताया जाता है की उक्त क्षेत्र में व्यव्स्साय पर तो प्रतिबंध नहीं है मगर “भाई” की अनुमति के साथ शर्ते लागू है जिनका चाहे दिल से स्वागत कोरो या दबाव और डर से, पर शर्तों से छुटकारा मिलना बामुश्किल है। जिन जिन शर्तों तथा दबाव के बारे में क्रांति भास्कर को पता चला है उसका खुलासा क्रांति भास्कर आगे करेगी, लेकिन उस से पहले यह जान ले की दबाव किसका है।
दादागिरी या नेतागिरी, सूखा पटेल स्वयम तय करें!
आम जनता के कारोबार और व्यवसाय पर, सूखा पटेल और उनके चेलों की तिरछी नजर!
दबाव सत्ता का है या साहंस का या फिर दबाव है दादागिरी और टपोरिगिरी का? वैसे कहते है सत्ता के नशे में कोई भी अपने आप को आम से खास समझने की भूल करने लगता है और ऐसा ही कुछ हाल दमन जिला पंचायत अध्यक्ष सुरेश पटेल उर्फ (सूखा पटेल) का दिखाई दे रहा है यह नेता शायद सत्ता के नसे में यह भूल गए की इस देश में कानून और व्यवस्था के लिए प्रशासन है और शायद अब यह न्याय और अन्याय जैसे शब्दों से कोई नाता नहीं रखना चाहते! ऐसा इस लिए कहां जा रहा है क्यों की जिस तरह की सह, सूखा पटेल अपने चेले चमचो को दे रहे है और जिस तरह की भाईगीरी और टपोरिगिरी इनके चेले चमचे कर रहे है उसे देख कर तो यही लगता है की कुछ समय पहले तक भीमपोर को अपनी बापोती समझने वाला अब पूरे दमन को अपनी बापोती समझने की भारी गलती कर रहा है।
जिला पंचायत के अध्यक्ष बनने से पहले भी सूखा पटेल पर कई बार भाईगीरी और टपोरिगिरी के आरोप तो लग ही चुके है लेकिन, जैसे जैसे इस नेता का कद बढ़ा वैसे वैसे इस नेता ने अपने चेले चमचो के जरीय भाईगीरी का आतंक भी बढ़ा और वो भी इतनी तेजी से जिसे शब्दों में बयान करना काफी मुश्किल है। बताया जाता की जैसे फिल्मों में टपोरी अपने भाई का नाम लेकर आम जनता पर तथा व्यापारियों पर अपना दबाव बनाते है तथा जिसकी शिकायत भी वह करने से डरते है ठीक वैसा ही आलम दमन के भीमपोर में देखने को मिल रहा है। जिला पंचायत के अध्यक्ष सूखा पटेल के नाम पर जो माहोल दमन के भीमपोर में दिखाई दे रहा है वह किसी फिल्मी सीन से कम नहीं, जैसे फिल्मों में कुछ टपोरी अपनी मामूली टपोरिगिरी दिखाकर जनता पर दबाव और डर दोनों बनाए रखते है वैसे ही दमन के भीमपोर में भी देखा जा रहा है।
देखिए यह विडियों जिसमे आडवाणी के साथ दिखे थे सूखा पटेल और हुई थी काफि चर्चा…
हालांकि इस मामले से प्रशासक अवश्य अनभिज्ञ हो, लेकिन जनता की नज़र में अन्य नेता तथा प्रशासिक अधिकारी अनभिज्ञ नहीं है, तथा दमन की जनता का प्रशासन एवं सरकार से यह सवाल है की, आम व्यवस्था, सरकार द्वारा बनाए गए नियम अधिनियम के अनुसार चलती है या दादागिरी, हफ्ता वसूली,और माफ़ीयागीरी करने वाले किसी “भाई” के आर्डर से? आखिर ऐसा माहोल क्यों जहां आम आदमी शिकायत करने से भी डरता हो? हालांकि इस खबर की जानकारी देने वाले ने खबर प्रकाशित करने पर क्रांति भास्कर को भी सचेत रहने के सुझाव दिए है क्यों की जानकारी देने वाला यह जानता है की इस मामेल की हक़ीक़त सामने आने के बाद मामले में संलिप्प्त माफ़िया क्रांति भास्कर से भी बदला लेने एवं दबाव बनाने का प्रयास करेंगे, तथा इस मामले से जुड़े अन्य खुलासों को जनता व सरकार के सामने लाने में किसी ना किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न करने की जीतोड़ कोशिस करेंगे, परंतु क्रांति भास्कर अपनी तीखी और निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए प्रतिबद्ध है तथा क्रांति भास्कर भयमुक्त होकर अपनी पत्रकारिता जारी रखेगी। शेष फिर।