दमन के उन विभागों में लूट और लूटने की कवायदे तेज है जिन विभागों के तार दमन के विकास आयुक्त संदीप कुमार तथा संदीप कुमार को मिले अतिरिक्त प्रभारों से जुड़े हो। अगर संदीप कुमार की बात करे तो फेहरिस्त काफी लम्बी है, और इस बार मामला भी सीधे तौर पर संदीप कुमार से जुड़ा नहीं है, लेकिन यह और बात है की इस मामले में भी कहीं न कहीं संदीप कुमार आड़े आते नजर आ रहे है।
दिनांक 09/01/2015 को उप-वन संरक्षक श्री दलाई द्वारा देवका के पास एक विकास कार्य नवीनीकरण हेतु, आर्डर जारी किया गया। उक्त आर्डर में बताया गया की उक्त विकास कार्य शुरू करने से पहले कार्य की डिजाइन/स्केच सक्षम/योग्य अधिकारी से अनुमोदित/स्वीकृत करवाना होगा। इस मामले में इस आदेश को जारी तो उपवन संरक्षक एवं वनसंरक्षककाकार्यभारसंभालनेवालेअधिकारीदलाईनेदिया,लेकिन वहस्वंय इसआदेशकाउलंधनहोतेदेखतेरहे।
बताया जाताहैकीइसकार्यकेसंबंधमेंनहींवनसंरक्षकदलाईनेअपनेवरीयअधिकारीकोसूचनादी,न ही इसकार्यकेसंबंधमेंअपनेवरीयअधिकारीसेकोईअनुमोदितलियागया।आनन-फानन मेंबसएककेबादएककईकायदोंकोपरवानचढ़ा दियागया।
मामला यह है की दमन वन एवं पर्यावरण विभाग के वन संरक्षक तथा उप वन संरक्षक दोनों का कार्यभार एक ही अधिकारी के पास है, जिनका देवेन्द्र दलाई बताया जाता है। हालांकि इस अधिकारी के पास वन संरक्षक के आलावे भी कई विभागों के अतिरिक्त प्रभार है जैसे पीसीसी सदस्य सचिव, एग्रीकल्चर,सी-आर-जेड सदस्य सचिव जैसे कई अन्य विभागों की देख-रेख प्रशासन ने इस अधिकारी दलाई को सोंपी है, लेकिन शायद यह अधिकारी अपनी कमाई की देख-रेख को ज्यादा तबज्जों दे रहे है। दमन में अभी तक बहोत कम ऐसे अधिकारी देखने को मिले है जो दमन-दीव प्रशासन और प्रशासक दोनों को अपने पैरों की धूल समझते हो यह अधिकारी भी वहीं भूल कर रहे है, वन संरक्षक दलाई शायद यह भूल गए की वरीयता और विकास दोनों को दरकिनार नहीं किया जा सकता, फिर चाहे उस पर किसी का भी हाथ क्यों न हो।
दमन-दीव व दानह में इस अधिकारी की कार्यप्रणाली को देखकर लगता है की इस अधिकारी ने दमन-दीव व दानह में आए विकास धन को तहस नहस करने की ठान ली है, और साथ ही प्रशासक के आदेशों तथा निर्देशों की अवमानना करने की भी ठान ली है, इसके उपरांत भी इस अधिकारी के गिरेबान तक अभी तक प्रशासन का फंदा कैसे नहीं पहुचा यह एक विचारणीय मामला है। दमन के देवका रोड के पास उक्त अधिकारी ने अपने मनमाने ढंग से विकास कार्य करवाकर यह तो साबित कर दिया की इस अधिकारी की मनमानी जनता के विकास हेतु आए धन को कैसे मटियामेट कर रहे है, लेकिन इस कार्य में इनकी मनमानी के साथ इस अधिकारी की भ्रष्टनिती भी साफ सामने आती नजर आ रही है।
बताया जाता है की देवका बीच के पास सोंदरीयकरण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे है, तथा इस कार्य हेतु जारी निविदा से लेकर विकास कार्य आरंभ करने हेतु जारी वर्क आर्डर तक सभी में अनियमितताएँ और भ्रष्टाचार की बू-आती है। इस कार्य के पूर्व भी इसी जगह माटी डालने का काम किया गया, उसमे भी गोल-माल की बू आती है, इसके आलावे, अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर उक्त अधिकारी ने कई ऐसे कार्य करवाए जिनकी जानकारी विभाग के वरीय अधिकारियों को नहीं दी गई, तथा अपने पद का दुरुपयोग कर इनकी मनमानी अब भी बरकरार बताई जाती है।
ज्ञात हो की उक्त अधिकारी दलाई के पास डी-सी-एफ का चार्ज है तथा विकास कार्य हेतु डी-सी-एफ के पास एक लाख तक के कार्यों का अधिकार है, तथा डी-सी-एफ को एक लाख तक के कार्य हेतु, विभाग के वरीय अधिकारी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती। वहीं उक्त अधिकारी दलाई के पास सी-सी-एफ का भी चार्ज है, तथा सी-सी-एफ का विकास कार्यों हेतु अधिकार क्षेत्र पांच लाख तक का है, जिसका फाइदा और दुरुपयोग यह अधिकारी उठा रहे है।
करोड़ों रुपये के कई विकास कार्यों को अपने अधिकार क्षेत्र में लाने हेतु, उन कार्यों को किस्तों में करवाया जा रहा है, अपने अधिकार क्षेत्र का दुरुपयोग कर पांच लाख तक के कार्य बड़े धड्ड्ले से करवा रहे है, और मामला यही नहीं जिस जगह पचचास लाख का एक कार्य होना चाहिए था, वहां उस कार्य को अपने अधिकार क्षेत्र में रखने के लिए पांच पांच लाख के दस अलग अलग कार्य करवाकर विभाग के पैसों का बंदरबांट किया जा रहा है।
इस पूरे विकास कार्य की जानकारियां जहां प्रशासन के वरीय अधिकारियों से छुपाई गई, वहीं इन कार्यों में वन संरक्षक दलाई और ठेकेदारों की बड़ी मिलीभगत की बू आती नजर रही है। बताया जाता है की 09/01/2015 को जारी किए वर्क आर्डर के पहले भी वन संरक्षक दलाई अपने अधिकारित्व और कुर्सी का दुरुपयोग कर कई पांच पांच लाख से कम के काम करवा चुके है, और उनका भुगतान भी हो गया, लेकिन शंका यह है की इस विभाग द्वारा अचानक सभी काम एक साथ तो करवाए जा रहे है लेकिन सभी काम पांच लाख के अंदर क्यों है? इस मामले में जब अधिक खोज-बिन की गई तो पता चला की वन संरक्षक दलाई के पास उप वन संरक्षक का भी अतिरिक्त प्रभार है, तथा उप वन संरक्षक द्वारा विकास कार्य करने का अधिकार क्षेत्र 1 लाख रुपये तक है वहीं वन संरक्षक का अधिकार क्षेत्र 5 लाख रुपये तक है, जिसके चलते वन संरक्षक दलाई अपने अधिकार क्षेत्र का दुरुपयोग कर पांच-पांच लाख के काम करवा रहे है, इसका एक कारण और भी है और वह यह है की अगर कार्य पांच लाख से अधिक का है तो वन संरक्षक दलाई को अपने वरीय अधिकारी मुख्य वन संरक्षक श्री रेड्डी से कार्य की अनुमति लेनी होगी। लेकिन वन संरक्षक दलाई अपने वरीय अधिकारी से तथा मुख्य वन संरक्षक से अनुमति नहीं लेनी पड़ेइसकेलिएअपनेअधिकारित्वकाइस्तमालकरपांचपांचलाखकेविकास कार्यकरवारहेहै।हालांकिपांचलाखतककेकार्योंहेतुवनसंरक्षकदलाईकोअपनेवरीयअधिकारीसेअनुमतिलेनेकीकितनीआवश्यकताहैयहतोप्रशासनमेंबैठेवरीयअधिकारीअधिकजानतेहै,लेकिन वनसंरक्षकएककेबादएकविकासकार्यकेनामपरनियमोंकीअनदेखीकरतेरहेऔरविकासकार्यकेबारेमेंअपनेवरीयअधिकारियोंकोसूचितभीनकरेयहतोगवारानहींलगता,इसे देखतेहुएतोयहीआशंकाहोतीहैकीदलाईकीदालमेंकालाहै।
ऐसा नहींहैकीदलाईनेयहसबअंजानेमेंकियाहो,बताया यहभीजाताहैकीइसपूरेकार्यमेंवनसंरक्षकदलाईतथाआर-एफ-ओगायकवाडनेप्रशासनकोचुनालगानेवालेठेकेदारोंकेसाथसाठ-गाठकरइसघोटालेकोअंजामदेनेकीयोजनाबताई,और इसविकासकार्यकेनामकईनियमोंकीअनदेखीकरअपनीजेबेभरनेकेजुगाड़ मेंदेखेगए।
अपने ही बाग को बर्बाद कर रहा है यह माली…
बताया जाता है की विकास कार्य में वन एवं पर्यावरण विभाग के साथ साथ सी-आर-जेड के नियमों की अवहेलना हुई है। इस विकास कार्य के दौरान विभाग द्वारा जो माटी डालने का कार्य करवाया गया, उसमे सी-आर-जेड के नियमों की अवहेलना हुई है ऐसा बताया जाता है, तथा यह भी बताया जाता है की सी-आर-जेड की कमिटी के सदस्य सचिव भी उक्त विकास कार्य का आर्डर जारी करने वाले दलाई है। भला अपने ही बड़े चोकाने वाली बात है की जिस अधिकारी के पास सी-आर-जेड के नियमों की हिफाजत करने की जिम्मेवारी है वहीं सी-आर-जेड के नियमों की अवहेलना करने पर तुले हुए है। इस मामले में क्या प्रशासन एवं वरीय ज़िम्मेवार अधिकारी क्या इस मामले की जांच करेगी।
बताया जाता है की देवका रोड पर चल रहे विकास एवं सोंदारियकरण कार्य का वर्क आर्डर जारी करते समय यह उक्त कार्य का डिजाइन अप्रूव करवाने के उपरांत कार्य करने को कहां गया था, तथा उक्त जारी कार्य का अभी तक डिजाइन अप्रूव नहीं हुआ, इसके उपरांत उक्त कार्य कैसे जारी है यह एक विचारणीय मामला है, वहीं इस कार्य में खराब सामाग्री और अनियमितताओं के साथ जो भ्रष्टाचार की चर्चाएँ चल रही है, वहीं इस कार्य का मुआइना प्रशासक आशीस कुन्द्रा तथा अन्य वरीय अधिकारियों द्वारा किया गया तथा बताया जाता है की इस कार्य की विश्वसनीयता तथा कार्य में इस्त्माल की गई सामग्रियों से वरीय अधिकारी तथा प्रशासक आशीस कुन्द्रा असंतुष्ट देखे गए। इस मामले में क्या वन विभाग के मुख्य एवं वरीय अधिकारी श्री रेड्डी जांच के आदेश देंगे या नहीं यह देखने वाली बात है।
प्रशासक आशीस कुन्द्रा को चाहिए की दमन-दीव व दानह वन विभाग एवं वन विभाग के वन संरक्षक दलाई द्वारा करवाए जा रहे तमाम कार्यों की जांच एक जांच कमेटी से कारवाई जाए, तथा अपने अधिकारित्व का दुरुपयोग कर पांच पांच लाख द्वारा करवाए जा रहे कार्यों की जांच करे।
इस कार्य में आर-एफ-ओ गायकवाड का भी मुख्य रोल बताया जाता है, बताया जाता है की इस कार्य में आर-एफ-ओ गायकवाड भी वन संरक्षक दलाई के बराबर भागीदार है और दोनों की जुगलबंदी के कारण इस कार्य में अनियमितताओं को अंजाम दिया गया, वहीं भ्रष्टाचार में गायकवाड दलाई से दो-कदम आगे बताए जाते है।