नागा शांति समझौते पर क्यों खामोश है मोदी सरकार?

PM Modi
रविन्द्र कुमार : पूर्वोतर में शांति स्थापित करने को मोदी सरकार एक बड़ी कामयाबी मान रही है। इस कामयाबी को मोदी सरकार ने एक बड़ी उपलब्धि तो बताया ही है साथ ही कांग्रेस को नागा समझौते पर फेल बताते हुए पूर्व की सरकार की आलोचना की है।
वहीं, दूसरी ओर हैरान करने वाली बात ये है कि अगर नागा शांति समझौता मौजूदा सरकार की उपलब्धि है तो फिर इस कामयाबी को मोदी सरकार छुपा क्यों रही है। इस मामले की तह तक जाने के लिए आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने सूचना के अधिकार के तहत जब सूचना मांगी तो जो सूचना मिली वो काफी हैरान करने वाली थी।
मिली जानकारी के अनुसार पूर्वोतर क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए नागा विद्रोहियों और भारत सरकार में हुए शांति समझौते का ब्यौरा सार्वजनिक करने से भारत सरकार ने इंकार किया है। हालांकि समझौता हुए दो साल बीत चुके हैं। बावजूद इसके सरकार रहस्यों से पर्दा उठाने को तैयार नहीं है। गृह मंत्रालय ने कहा है कि मामला देश की एकता, अखंडता से जुड़ा है, आरटीआई से बाहर है। और मामला केन्द्रीय सूचना आयोग में पहुंच गया है।
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मामले पर जानकारी देते हुए पानीपत के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया कि बहुचर्चित नागा शांति समझौते के सम्पन्न होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो साल पूर्व इसे भारी उपलब्धि बताया था। लेकिन ये समझौता क्या है? इसे देश को बताने को मोदी सरकार तैयार नहीं है। पीपी कपूर ने आरोप लगाते हुए कहा कि इसमें कुछ ऐसी शर्तें हैं जिनके सार्वजनिक होने पर मोदी सरकार के राष्ट्रवाद की कलई खुल सकती है। इसलिए दो साल का लम्बा समय बीत जाने पर भी देश की जनता से छिपाया जा रहा है। चर्चा है कि भारत सरकार ने नागा विद्रोहियों की अलग झंडे और अलग पासपोर्ट की मांग को स्वीकार किया है।
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कपूर ने बताया कि उन्होंने पिछले साल 9 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री कार्यालय में आरटीआई लगाकर भारत सरकार और नैशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के बीच 3 अगस्त 2015 को सम्पन्न समझौते की प्रति मांगी थी। यह भी जानकारी मांगी थी कि समझौते के किन-किन बिन्दुओं पर क्रियान्यवन हुआ है। इस आरटीआई आवेदन और प्रथम अपील के बावजूद केन्द्रीय गृह मंत्रलायल ने गहन चुप्पी साध ली और कोई जवाब नहीं दिया। केन्द्रीय सूचना आयोग में 15 नवम्बर 2016 को दूसरी अपील करने के उपरांत 9 फरवरी 2017 के पत्र द्वारा केन्द्रीय गृहमंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येन्द्र गर्ग ने देश की सुरक्षा और अखंडता का संदर्भ बताते हुए समझौते को सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया। सत्येन्द्र गर्ग ने बताया कि 3 अगस्त 2015 को भारत सरकार की ओर से नागा शांति वार्ता के वार्ताकार आर.एन रवि और नैशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड की ओर से टी. मुईवाह ने नई दिल्ली में समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करना है।
Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। यह लेख मूल रूप से रविन्द्र कुमार के ब्लॉग पर प्रकाशित हुआ है। ये जरूरी नहीं कि क्रांति भास्कर इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।