
गुजरात विधानसभा के चुनाव दो फेज में 9 और 14 दिसंबर को होंगे। नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे। इसी दिन हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजों का एलान भी किया जाएगा। चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) अचल कुमार ज्योति ने बुधवार को कहा, “गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 22 जनवरी 2018 तक है। यहां 182 सीटों पर 4.33 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे। 50,128 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं, चुनाव में वोटर वैरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPATs) का इस्तेमाल होगा।” बता दें कि इलेक्शन कमीशन ने कहा था कि हिमाचल के वोटिंग पैटर्न या नतीजों का असर गुजरात पर न पड़े, इसलिए शेड्यूल अलग-अलग रखा गया है।
इवेंट्स | पहला फेज | दूसरा फेज |
कुल सीटें 182 | 89 | 93 |
नोटिफिकेशन | 14 नवंबर | 20 नवंबर |
नॉमिनेशन की आखिरी तारीख | 21 नवंबर | 27 नवंबर |
नॉमिनेशंस की स्क्रूटनी | 22 नवंबर | 28 नवंबर |
नॉमिनेशन वापस लेने की तारीख | 24 नवंबर | 30 नवंबर |
वोटिंग | 9 दिसंबर | 14 दिसंबर |
नतीजों का एलान | 18 दिसंबर | 18 दिसंबर |
कच्छ, सुरेंद्रनगर, मोरबी, राजकोट, जामनगर, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, अमरेली, भावनगर, बोटाड, नर्मदा, भडूच, सूरत, तापी, डांग, नवसारी, वलसाड।
अहमदाबाद, बनासकांठा, पाटन, महेसाणा, साबरकांठा, अरवल्ली, गांधीनगर, आनंद, खेड़ा, महीसागर, पंचमहल, दाहोद, वड़ोदरा, छोटा उदैपुर।
क्यों है पटेल-पाटीदार कम्युनिटी की अहमियत?
पार्टी |
2012 विधानसभा |
वोट शेयर |
2014 लोकसभा |
वोट शेयर |
बीजेपी |
115 |
47.9% |
26 |
61.1% |
कांग्रेस |
61 |
38.9% |
00 |
33.5% |
जीपीपी |
2 |
3.6% |
00 |
00 |
एनसीपी |
2 |
3.6% |
00 |
0.9% |
जेडीयू |
1 |
5.8% |
00 |
0.4% |
इंडिपेंडेंट |
1 |
2.9% |
00 |
2.1% |
बीजेपी को लगे तीन झटके
गुजरात में 19 साल से BJP सत्ता में, 15 साल में पहली बार मोदी सीएम कैंडिडेट नहीं
3 साल में गुजरात में 3 सीएम
क्या UP के बाद अब गुजरात में सोनिया बगैर प्रचार करेंगे राहुल गांधी?
गुजरात में पहली बार VVPAT से वोटिंग
गुजरात चुनाव में 5 बड़े चेहरे, मोदी के लिए साख का सवाल
5 बड़े मुद्दे
- मोदी जब सीएम थे और लोकसभा चुनाव में पीएम कैंडिडेट बने तो उन्होंने डेवलपमेंट के गुजरात मॉडल का जमकर प्रचार किया। इसी महीने मोदी ने अपने गुजरात दौरे में राज्य के लिए 12 हजार करोड़ की योजनाओं की शुरुआत की।
- उधर, कांग्रेस इस चुनाव में डेवलपमेंट को ही मुख्य मुद्दा बना रही है। राहुल के गुजरात दौरे में ये साफ नजर आया। राहुल ने कहा- विकास को क्या हुआ? विकास पागल हो गया। विकास झूठ सुन-सुनकर पागल हो गया।
- इस पर स्मृति ईरानी ने कहा- “गुजरात जाकर राहुल विकास का मजाक उड़ाते है, पहले अमेठी का विकास कर लीजिए। आज तक जिला कलेक्टर के बैठने के लिए ऑफिस नहीं है। ये अनोखी अमेठी का विकास है।”
- राहुल गांधी अपनी सभाओं में कह रहे हैं, “जीएसटी आधी रात को लागू कर दिया गया। इस फैसले ने आग लगा दी। छोटा व्यापारी फॉर्म कैसे भरेगा।’’
- बीजेपी ने मंदी का सामना कर रहे कारोबारियों को जीएसटी काउंसिल में फीडबैक के आधार पर राहत दी। 50 हजार की खरीदी पर पैन की अनिवार्यता खत्म करना, रिटर्न फाइलिंग में 3 महीने की छूट कंपोजिट स्कीम की लिमिट बढ़ाकर एक करोड़ करना जैसे कदम उठाए। इन फैसलों पर मोदी कहा- 15 दिन पहले दीवाली आई।
- राहुल ने कहा- नोटबंदी से कैश में काम करने वाले छोटे कारोबारी तबाह हो गए। जनता चोर बन गई, जबकि असली चोरों ने काले धन को सफेद कर लिया। पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर और बीजेपी के नेता यशवंत सिन्हा ने भी इकोनॉमी पर सवाल खड़े किए।
- वहीं, मोदी नोटबंदी और जीएसटी को आर्थिक सुधारों की दिशा में ऐतिहासिक कदम बता रहे हैं। मोदी ने हाल ही में कहा- कुछ लोग महाभारत में कर्ण के सारथी रहे शल्य की तरह होते हैं, ये लोग सिर्फ दूसरों में निराशा फैलाते हैं।’
- पिछड़ा वर्ग में आरक्षण की मांग को लेकर 2015 में हार्दिक पटेल की अगुआई में राज्य में पाटीदार आंदोलन हुआ।
- पाटीदारों में दो कैटेगरी हैं- लेउवा पटेल और कड़वा पटेल। 2012 के चुनावों में बीजेपी को लेउवा के 63%, जबकि कड़वा के 82% वोट मिले थे। कांग्रेस को लेउवा के 15% तो कड़वा पाटीदारों के 7% वोट मिले थे।
- राज्य में 44 विधायक और कैबिनेट में 7 मंत्री इसी कम्युनिटी से हैं।
- राहुल ने हाल ही में हिमाचल के दौरे पर कहा था कि गुजरात सरकार ने पांच साल में 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार नहीं दिया, जबकि हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने 70 हजार युवाओं को रोजगार दिया।
- वहीं, सीएम विजय रूपाणी ने दावा किया कि पूरे देश में जितने रोजगार के अवसर बने, उसमें से 84% अकेले गुजरात से आए। उन्होंने यह भी दावा किया कि हाल ही में राज्य सरकार ने एक हफ्ते में 10 लाख युवाओं को रोजगार दिलवाया।
गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीख़ों के एलान में देरी पर चुनाव आयोग ने दलील दी है कि राज्य में बाढ़ के बाद राहत से जुड़़े कामों की वजह से अभी ऐलान नहीं किया गया है. जब इसकी पड़ताल एनडीटीवी ने की तो चौंकाने वाला सच सामने आया. हमारी टीम ने गुजरात के 8 ज़िलों के अधिकारियों से बात की तो कई तरह के ख़ुलासे हुए. चुनाव आयोग ने पहले पांच ज़िलों में बाढ़ की बात कही थी लेकिन बाढ़ राज्य में बाढ़ से प्रभावित जिलों की संख्या सात है. साबरकांठा जिले के बाढ़ राहत अधिकारी कानन शाह ने बताया कि बाढ़ नहीं यहां सिर्फ भारी बारिश हुई थी और राहत का काम काफी पहले हो चुका है. मेहसाणा जिले की डिप्टी तहसीलदार (आपदा) ने बताया कि जिले में बाढ़ से बुरे हालात नही हैं. राहत का काम पूरा हो चुका है. अब सिर्फ एक ही तहसील का काम बाकी रह गया है.
गुजरात विधानसभा चुनाव : 2012 में ऐसे आए थे नतीजे, कांग्रेस के लिए आसान नहीं है इस अंतर को पाटना
सुरेंद्र नगर जिले के आपदा प्रबंधन अधिकारी नीलेश जी परमार ने बताया कि उनके जिले में बाढ़ नहीं आई थी लेकिन भारी बारिश हुई थी. जुलाई में ही राहत काम पूरा कर लिया गया था. मोरबी जिले के आपदा मामलों से जुड़े अधिकारी एसएस डोडिया ने बताया कि कुछ राहत का काम बाकी है. बनासकांठा की आपदा प्रबंधन अधिकारी रोमिला बेन पटेल ने कहा कि राहत का काम पूरा हो गया है. बाढ़ से नुकसान का सर्वे जारी है. मुआवजा देने का काम भी अंतिम दौर में है.
गुजरात चुनाव के नतीजे जो भी हों, फायदा राहुल गांधी को ही होगा – ये हैं 5 कारण
पाटन जिले के आपदा प्रबंधन से जुड़े तहसीलदार आरसी व्यास ने कहा कि 99 फीसदी का काम पूरा हो गया है. मुआवजा देने का काम भी पूरा हो गया है. वहीं अरावली जिले के आपदा प्रबंधन के प्रभारी हितेश रावल का कहना है कि जिले में बाढ़ नहीं आई थी. बारिश के बाद जो राहत का काम शुरू किया गया था वह पूरा हो चुका है. राजकोट जिले के कलेक्टर डॉ. विक्रांत पांडेय ने बताया कि सिर्फ एक तालुका में बाढ़ आई थी. हालत गंभीर नहीं है. राहत का काम भी लगभग खत्म होल चुका है.
जातिगत समीकरणों को साधने के चक्कर में राहुल गांधी कहीं इन मोर्चों को भूलने की गलती तो नहीं कर रहे?
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश के साथ गुजरात चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की थी. जबकि दोनों राज्यों में चुनाव एक साथ ही होते रहे हैं. जिससे आयोग की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं. वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम करा है ताकि वहां इस बीच ज्यादा से ज्यादा लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की जा सके.