
जोधपुर। कोरोना संक्रमण की चेन को तोडऩे के लिए राज्य सरकार ने 3 मई तक जन अनुशासन पखवाड़ा घोषित किया है लेकिन कुछ लोग जन अनुशासन पखवाड़े के तहत निर्धारित की गई गाइडलाइन की पालना नहीं कर रहे हैं। ऐसे में जेट उत्तर की टीम ने शुक्रवार को कार्यवाही करते हुए 17 प्रतिष्ठानों को सीज किया है। इसके साथ ही गाइडलाइन की अवहेलना करने पर सात चालान काटे व 27 सौ रुपए का जुर्माना वसूला। सवाल यह है की जब केवल जोधपुर में 17 प्रतिष्ठान सीज हुए है तो पूरे राजस्थान में कितने हुए होंगे? पूरे भारत में कितने हुए होंगे? इनके आंकड़े सरकार क्यों नहीं देती? एक और व्यापारी मदी की मार पहले से ही झेल रहे थे रही सही कसर करोना ने पूरी कर दी उस पर सरकारों का सख्त रवैया जनता के गले की हड्डी बना हुआ है।
नगर निगम आयुक्त उत्तर रोहिताश्व तोमर ने बताया कि शुक्रवार को जेट उत्तर की टीम उत्तर ने नई सड़क जवाहर खाना स्थित सतगुरु सहाय कलेक्शन, घासमंडी स्थित सुपर आइरन ट्रेडर्स, त्रिपोलिया स्थित द बेस्ट टेलर्स, रैंबो टेलर्स, घास मंडी स्थित पटेल स्टेशनर्स, एलके प्रिंटर्स, ओम कपड़े की दुकान, घास मंडी स्थित मां अंबे ट्रेडर्स, लखारा बाजार स्थित घेवर चंद रघुनाथचंद, रामप्रकाश घेवरचंद कपड़े की दुकान, नई सड़क स्थित सियोटा कलेक्शन, मोती चौक स्थित भावना टेक्सटाइल, कटला बाजार स्थित राजरानी एंपोरियम एंड क्रिएशन, राजरानी एंपोरियम गोदाम, दीवानों की गली स्थित ऋषभ एंटरप्राइजेज, नेमीचंद मदनलाल, सुल्तान मार्केट स्थित केएल कटपीस सेंटर, कटला बाजार स्थित रामप्रकाश घेवरचंद कपड़े की दुकान को सीज किया।
इस कार्रवाई के दौरान एसीपी शिव नारायण चौधरी, उपायुक्त शैलेंद्र सिंह, अतिक्रमण प्रभारी मोहन किशन व्यास, सुरेश हंस के प्रभारी आशीष चावरिया मौजूद थे।
सवाल यह है की इस महामारी के समय में भी जनता नियमों का उलंघन क्यों कर रही है? इस सवाल का जवाब जनता के पास भी है और सरकारों के पास भी लेकिन पता नहीं क्यों सरकारें जनता की तकलीफ समझ नहीं पा रही है। प्रशासन ने जिनके प्रतिष्ठान सीज किए उनकी आर्थिक स्थिति क्या है? क्या सरकार यह जानती है?
पिछली तालबंदी की वजह से छोटे और मँझोले कारोबारियों का जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई तो हुई नहीं उल्टा फिर से कोरोना ने अपने पाव पसार कर जनता को एक बार और अकेले मुसीबत का सामना करने के लिए छोड़ दिया। अभी तक किसी राज्य की सरकार ने किसी प्रकार की खास रियायत की घोषणा नहीं की ऐसा क्यों? क्या सरकारें सिर्फ वोट लेने के लिए, टैक्स लेने के लिए, अपने फरमान सुनने के लिए है। जनता विवश है सरकार जानती है लेकिन जनता मूर्ख नहीं है।