
जोधपुर शहर के नगर निगम एवं नगर निगम के अधिकारियों की कार्यप्रणाली की बात जब भी सामने आती है, तो प्रत्येक शहरवासी यह कहता दिखाई देता है कि ’’ये नगर निगम नहीं नरक निगम है’’। क्योंकि यहां पैसों के बिना ना पेपर हिलता है नाही अतिकरण।
कुछ ऐसा ही हुआ जोधपुर शहर की श्रीमती सरस्वती देवी के साथ, उनके एयरफोर्स के शेर विलास क्षेत्र में स्थित प्लाट के पास आने-जाने के आगमन मार्ग पर, श्री शम्भुसिंह पुत्र श्री बद्रीसिंह चैहान द्वारा अवैध तथा मनमाना निर्माण कर लिया गया। उक्त अवैध तथा मनमाने निर्माण पर कार्यवाही हेतु, श्रीमती सरस्वती देवी ने उक्त अवैध निर्माण की शिकायत राज्य सरकार के सम्पर्क समाधान पार्टल पर दिनांक 15.01.2016 को की।
उक्त मामले में जोधपुर नगर निगम उपायुक्त (शहर) द्वारा दिनांक 22.03.2016 को आगमन मार्ग में हुए अतिक्रमण को हटवाने के लिए, अतिक्रमण प्रभारी शहर श्री कमलेश व्यास एवं राजेश तेजी को निर्देशित किया गया लेकिन मामला ढाँक के तीन पात साबित हुआ।
इसी मामले में माननीय न्यायालय ने भी दिनांक 15.11.2017 को आदेश दिया कि श्री शम्भूसिंह स्वयं सात दिवस में अवैध अतिक्रमण हटा लेवें अन्यथा राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 194/245/236 के तहत् प्रदृत शक्तियों का प्रयोग करते हुए आपका निर्माण ध्वस्त किया जायेगा। अंतत जोधपुर नगर निगम उपायुक्त (शहर) ने, शम्भुसिंह को दिनांक 12.12.2017 को एक अंतिम आदेश जारी करते हुए अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए सात दिनों का समय दिया गया, लेकिन इसके बाद भी उक्त अवैध निर्माण जस के तस है।
अब इस पूरे मामले को देखने के बाद सवाल यह उठता है की आखिर किन कारणों से नगर निगम उक्त अवैध निर्माण को जमीदोष करने से परहेज कर रही है सवाल यह भी है की क्या नियम अधिनियम भी भला भाई-भतीजवाद के सामने बोने साबित हो सकते है हो ना हो इस मामले में नगर निगम द्वारा बरती जा रही ढील अवश्य अब दाल में कुछ ना कुछ काला होने का इशारा कर रही है, खैर दाल में कितना काला है यह तो जांच के बाद पता चलेगा, फिलवक्त तो इंताजर है अवैध निर्माण के जमीदोष होने का।