87 करोड़ का 1 प्रतिशत 87 लाख कमीसन वसूल करते है, और प्रशासक आशीष कुंदरा को पता है: कार्यपालक अभियंता शंकरभाई।

PWD-Silvassa-news
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संध प्रदेशों में भ्रष्टाचार किस हद तक है और उस भ्रष्टाचार की बहतीगंगा में कोन-कोन हाथ धो रहा है इस मामले शायद प्रशासन से अधिक जानकारी जनता अपने साथ लेकर घूम रही होगी, लेकिन दानह प्रशासन के कुछ अधिकारी ऐसे भी है जिनहे न हीं भ्रष्टाचार से डर लगता है नहीं भ्रष्टाचार के कबूलनामे से। ऐसे ही एक अधिकारी है दानह में। नाम, शंकारभाई, विभाग, दानह लोक निर्माण विभाग खंड-1  पद, कार्यपालक अभियंता।

  • प्रशासक आशीष कुन्द्रा पर अब तक का सबसे बड़ा आरोप…
  • अब तक होती रही प्रशासक से जांच की मांग, लेकिन अब प्रशासक की जांच की मांग

दानह के इस कार्यपालक अभियंता की हकीकत और बयान सुनकर शायद प्रशासक भी दांतों तले अपनी उंगलिया चबा ले, क्यों की इस मामले में भले-ही कार्यपालक अभियंता का स्टिंग कर क्रांति भास्कर ने कार्यपालक अभियंता शंकारभाई का कबूलनामा और हो रहे भ्रष्टाचार की लेन-देन को अपने खुफिया-केमेरे में कैद किया हो लेकिन इस मामले में कुछ ऐसे इल्जामत और आरोप प्रशासक आशीष कुन्द्रा पर इस अभियंता ने मढ़ दिए है, जो आने वाले समय में जरूर प्रशासक आशीष कुन्द्रा के लिए बड़ी मुश्किले खड़ी कर सकते है।

कार्यापालक अभियंता शंकारभाई से पूछा गया की इस विभाग में विकास हेतु कितनी विकास राशि आती है तो तुरंत कार्यपालक अभियंता ने बता दिया 87 करोड़ रुपये, लेकिन इसके बाद जब यह पूछा की इस 87 करोड़ की रकम में तथा इस रकम से हो रहे विकास कार्य में कितनी कमीसन-खोरी (भ्रष्टाचार) किया जाता है, तो इस सवाल का जवाब भी मिला, अभियंता शंकारभाई ने बताया 1 प्रतिशत, इसके बाद भी सवाल नहीं रुके न हीं अभियंता को यह पता था की यह सभी जानकारिया रिकॉर्ड हो रही है, पुनः उस अभियंता से पूछा गया की जब एक वर्ष में 87 करोड़ की विकास राशि पर एक प्रतिशत कमीसन-खोरी (भ्रष्टाचार) किया जाता है तो 87 करोड़ का एक प्रतिशत कितना होता है और कुल कितनी आम्दानी होती है जरा हिसाब लगाकर बताइए, अभियंता के केलकुलेटर लिया और हिसाब लगाया और बोले 87 करोड़ का एक प्रतिशत 87 लाख होता है।

प्रशासक को पता है, और प्रशासक की जानकारी के बिना भ्रष्टाचार नहीं करते है: यह कहना है दानह लोक निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता शंकारभाई का।

मामला यही नहीं रुका इसके बाद भी सवाल जारी रहे, उक्त अभियनता से पूछा गया की इस 87 करोड़ के 1 प्रतिशत यानि 87 लाख रुपये का हिस्सा किस-किस अधिकारी में बांटता है और किस किस वरीय अधिकारी को यह हिस्सा जाता है, तो अभियंता शंकारभाई थोड़ा हिचके संकोच किया लेकिन फिर बताया कि, जब ओडिट आती है तो उनको कुछ देना पड़ता है लेकिन रकम नहीं बताई। अब किसकी ऑडिट आती है और कैसी ऑडिट आती है यह खोजना तो जांच एजेंसियों का काम है! इसके बाद जब अंत में यह पूछा गया की क्या इस भ्रष्टाचार और कमीसन-खोरी के बारे में प्रशासक आशीष कुन्द्रा को पता है, कार्यपालक अभियंता शंकारभाई का जवाब बड़ा चौकाने वाला रहा, अभियंता शंकरभाई ने बड़ी बे-फिक्री से कह दिया की हाँ। प्रशासक आशीष कुन्द्रा को सब पता है और उनको पता नहीं हो तो ऐसा खुल्ला भ्रष्टाचार हो ही नहीं सकता। केवल इस एक जवाब ने दमन-दीव व दादरा नगर हवेली के प्रशासक आशीष कुन्द्रा को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया। और इसी जवाब ने दमन-दीव व दानह में हो रहे तमाम भ्रष्टाचारों का जवाब भी दे दिया।

इस जवाब से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है की दमन-दीव विधुत विभाग के कार्यपालक अभियंता तथा अन्य अभियन्ताओं द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की कितनी जानकारी प्रशासक रखते होंगे और रखते है,

बात केवल इस एक स्टिंग ऑपरेशन की नहीं बल्कि इस एक स्टिंग से यह पता चलता है की यहां की प्रशासन और प्रशासक की हकीकत क्या है? सवाल केवल यह नहीं है की अभियंता शंकारभाई कितना भ्रष्टाचार करते है सवाल यह है की कितने मामले ऐसे है जिनके भ्रष्टाचार की जानकारी प्रशासक को है और प्रशासक कार्यवाई नहीं करते। संध प्रदेश दमन-दीव दानह में ऐसे कई अधिकारी है जिनके भ्रष्टाचार का खुलासा क्रांति भास्कर ने काफी समय पहेल कर दिया लेकिन उस वक्त के प्रशासकों ने उन मामलों में कोई जांच कार्यवाई नहीं की, अंत में उन मामलों की सत्यता कभी सीबीआई के माध्यम से बाहर आई तो कभी अन्य जांच एजेंसियों के माध्यम से।

  • दमन-दीव के आर-टी-ओ के गोरख धंधे और भ्रष्टाचार का खुलासा क्रांति भास्कर ने काफी समय पहले कीया था, लेकिन अंत में उस मामले में सीबीआई ने संज्ञान ली और आर-टी-ओ निरीक्षक सामील पर मामला दर्ज किया, इसके बाद आर-टी-ओ निरीक्षक द्वारा प्रशासन के साथ की गई धोखा-धड़ी को लेकर भी क्रांति भास्कर ने कई बार खबर प्रकाशित की लेकिन उस मामले को अभी अंतिम रूप सीबीआई का मिला।
  • इसके आलावे दमन लोक निर्माण विभाग के कनिय अभियंता नीलेश पटेल और कार्यपालक अभियंता सोलंकी द्वारा हो रहे भ्रष्टाचार के खुलासे भी क्रांति भास्कर करती रही और उक्त दोनों अभियंता प्रशासन की गोद में बैठे भ्रष्टाचार करते रहे, अंत में उन्हे भी सीबीआई का कोपभाजन बनना पड़ा।
  • दमन के जिला पंचायत में हुए भ्रष्टाचार को भी क्रांति भास्कर ने एक स्टिंग-ऑपरेशन सामने लाई, और इस  मामले में दमन सतर्कता विभाग के अधीक्षक धीरुभाई का भ्रष्टाचार से संबन्धित जानकारी रखने और मामले में कार्यवाई नहीं करने से संबन्धित एक क्लिप अपनी वेबसाइट पर लॉन्च कर प्रशासन को सचेत किया, लेकिन प्रशासन के वरीय अधिकारी उस वक्त भी केवल खामोशी से तमाशा देखते रहे, जिला पंचायत द्वारा पार्थ कंस्ट्रक्सन और चिराग कंस्ट्रक्सन को दिए कार्यों पर भी क्रांति भास्कर ने खुलासा किया लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा, अंत में आज इस मामले में चल रही जांच ने क्रांति भास्कर द्वारा किए गए उस वक्त के खुलासों पर सत्यता की मुहर लगा दी।

दमन-दीव पीसीसी के तत्कालीन सदस्य सचिव का पीसीसी के सदस्य सचिव की कुर्सी पर नियुक्ति मामले में अनियमितता की बात हो या किसी अन्य नियम की क्रांति भास्कर ने उन तमाम खबरों को प्रशासन के सामने तो रखा लेकिन बड़े टाजूब की बात है की उन तमाम मामलों में या तो सीबीआई द्वारा पहल हुई या केंद्र सरकार द्वारा, अधिकांश मामले ऐसे रहे जिनकी जानकारी होते हुए भी प्रशासन और प्रशासक दोनों हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।

कुछ मामले ऐसे भी है जिनके भ्रष्टाचार के कई खुलासे क्रांति भास्कर ने किए, कई अनियमितताओं पर से पर्दा उठाया लेकिन उन मामलों में अभी तक नहीं सीबीआई द्वारा कोई पहल की गई नहीं प्रशासक आशीष कुन्द्रा द्वारा, उनमे विधुत विभाग का भ्रष्टाचार एक प्रमुख मुद्दा रहा, इस विभाग के भ्रष्टाचार की जितनी शिकायते इस प्रशासन और गृह मंत्रालय को की गई होंगी, उतनी शिकायते शायद किसी देश के किसी विभाग की नहीं होगी, लेकिन यह एक ऐसा विभाग है जिस पर नहीं अब-तक प्रशासक की तिरछी-नजर पड़ी नहीं सीबीआई की। एक कहावत है की जिसे मंजूर नहीं अठन्नी वह चवन्नी को तरस जाता है लेकिन यह भी हकीकत वाजबी है की समय सबका आता है।

दमन-दीव प्रशासक आशीष कुन्द्रा को इस मामले में यह ध्यान अवश्य देना चाहिए की विभाग और विभाग के मुख्या भले-ही विकास आयुक्त संदीप कुमार क्यों न हो इस प्रशासन के मुख्या तो आप ही है, समय रहते दमन-दीव विधुत विभाग पर संज्ञान लेंगे तो शायद इस मामले में आगे आने वाली जांच कम से कम किसी अन्य प्रशासक पर संलिप्तता के छीटे तो नहीं उड़ाएगी!

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इस मामले में, सांसद नट्टू पटेल को करनी चाहिए, सीबीआई जांच की मांग….

  • दानह सांसद नट्टू पटेल को इस मामले में प्रशासक से जवाब मांगना चाहिए की दानह के कितने विभाग और विभागीय अभियंता है जिनके भ्रष्टाचार के बारे में प्रशासक आशीष कुन्द्रा को पता है, तथा दोनों संध प्रदेशों में सबसे अधिक तथा महत्वपूर्ण विभाग केवल विकास आयुक्त के पास ही क्यों है? वहीं इस मामले में लोक निर्माण विभाग के अभियंता शंकरभाई के इस बयान के बाद यह तो सिद्ध हो गया की इस विभाग के कार्यपालक अभियंता कितना भ्रष्टाचार करते है तो अब इस विभाग में हुए भ्रष्टाचार के मामले में तथा हो रहे भ्रष्टाचार के मामले में सांसद श्री नट्टुभाई पटेल को सीबीआई जांच की मांग करनी चाहिए, इस मामले में सीबीआई जांच इस लिए अभी आवश्यक दिखाई पड़ती है क्यों की अभियंता के बयान अनुसार हो रहे भ्रष्टाचार की जानकारी प्रशासक को है, तो इस मामले में प्रशासक से जांच की मांग न्यायोचित नहीं लगती।

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इस बयान से पीछा-छुड़ाना प्रशासक के लिए नामुमकिन।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की इस प्रकार के बयान तथा स्टिंग को प्रशासन व न्यायालय उस अवस्था में स्वीकार करने से परहेज करता देखा गया, जिन अवस्थाओं में बयान देना वाला सवंम आरोपी हो तथा अपने पद से निलबित किया गया हो, या उस निलंबित हुए अभियंता के बयान में फिर अविश्वास की बु-आती है।  लेकिन यह एक ऐसा मामला है, जिसमे न हीं उक्त अभियंता निलंबित है, न हीं आरोपी, बल्कि बयान देने तथा इस स्टिंग के दौरान वह अपने दफ्तर की कुर्सी गरम कर रहे थे, और उनका यह बयान (स्टिंग) भी उनके दफ्तर में ही दर्ज किया गया।