
एशिया की प्रथम म्युनिसिपल को सत्ता महत्वकांशीयों ने मज़ाक बना दिया, जनता से विश्वास का वादा कर राजनीति मे उतरे काउंसिलर से यह उम्मीद नहीं यहां की जनता ने की होगी, नहीं इस एशिया की प्रथम म्युनिसिपल्टी ने, आलम यह रहा की एक बाद एक नए नए प्रमुख बनते रहे, और दमन की जनता और नगरपालिका अविश्वास का संत्रास झेलती रही।
यह कहना तो मुश्किल होगा की इस पालिका क्षेत्र में किस पार्टी का काउंसिलर कोन है और वह क्या चाहता है, क्यों की यहां इतनी बार चेहरे और दल की अदला बदली हुई, की अब तो जनता भी शायद भूल गई की यह किस पार्टी के नेतृत्व आने वाले चुनावों में दिखाई देंगे। शुरू से शुरू किया तो काफी लम्बी फेहरिस्त सामने आ जाएगी। इस लिए हालही में बैठे प्रमुख से शुरू करते है। फिलवक्त नगर पालिका के प्रमुख पद पर बैठे मुकेश पटेल और इस नगर पालिका के प्रमुख दमन कांग्रेस के पुराने वफादार बताए जाते है, लेकिन फिलवक्त यह किस पार्टी के पाले में गोता लगा रहे है यह कहना बामुश्किल है, क्यों की इस पालिका के कई सदस्य कभी इधर तो कभी उधर दिखाई दिए। लेकिन इस पालिका के प्रमुख चेहरों में सबसे अधिक चर्चित है, नायक, और सींपल टंडेल रहे है, इनहोने कई बार अपने मत से इस पालिका के मशतिष्क पर शर्मिंदगी की वह तिलक लगा दिया जिसे शायद जनता हमेशा याद रखेगी। हालांकि दोनों ही इस वक्त प्रमुख नहीं है, लेकिन जोड़ तोड़ की राजनीति में दोनों का नाम प्रमुखता पर है। अगर नायक की बात करे तो वैसे तो यह नेता आम तौर पर भाजपा के झंडे तले देखे जाते है, लेकिन जनता की माने तो इन्हे भी दो नावों में सेर करने का चस्का है, बताया यह भी जाता है की भाजपा नेता नवीन जिस तरह केतन पटेल के सहयोगी बने बैठे है, वैसे ही नायक पूर्व कांग्रेसी सांसद दहया भाई के सहयोग से ही प्रमुख बने थे, अब बात में सत्यता की सांख कितनी गहरी है यह तो वहीं जाने जिनहोने इस पालिका में अपनी अपनी भूमिका निभाई है, वैसे यहां की राजनीति में यह कोई नई बात भी नहीं, दल की अदलाबदली में कोई किसी से पीछे नहीं दिखता, कभी यहां का कांग्रेसी भाजपा में गोता लगाता है तो कभी भाजपा का नेता कहलाने पर भी कांग्रेस को समर्थन दे देता है, बस पिसती है तो जनता आखिर वह भी क्या करे जिनके जिम्मे विकास छोड़ा है वहीं अविश्वास प्रस्ताव की चिट्ठी तीनों प्रहर अपने साथ लेकर घूमने लगे है, न जाने कब ऊपर से आदेश आ जाए, समाहर्ता को चिट्ठी देने का, लेकिन शायद आने वाले चुनावों में इन्हे किस विश्वास की चिट्ठी जनता थमाती है यह देखने वाली बात होगी।
इस पालिका के दूसरे बहुचर्चित चेहरे सींपल टंडेल की बात करे तो इनके दल से ज्यादा चर्चित विषय यह है की इनके प्रमुख सलाहकार विशाल टंडेल बताए जाते है, बताया जाता है की दमन कांग्रेस के विशाल टंडेल के इशारे पर यह अपना राजनीतिक पासा चलती है, वैसे इस मामले और बात में कितनी सच्चाई है यह तो वहीं बता पाएंगे, लेकिन जनता की माने तो हालही में रखे गए अविश्वास प्रस्ताव के पीछे भी कहीं न कहीं विशाल टंडेल की राजनीति है। हालांकि इन्हे भी इस पालिका के प्रमुख पद पर बैठ कार्य करने का एक मौका मिला था, लेकिन इन्हे भी अविश्वास प्रस्ताव का ऐसा झटका लगा, की आज यह वही झटका इस पालिका को भी देना चाहती है।
इस पूरे मामले में तथा नगर पालिका की इस उथल पुथल में नहीं कांग्रेस ने इस बात पर ध्यान दिया की जनता के विकास का क्या होगा, नहीं भाजपा ने इस बात पर ध्यान दिया की दमन के विकास का क्या होगा, दोनों पार्टियों के साथ निर्दलीय चुने गए सदस्य भी अविश्वास प्रस्ताव का खेल खेलते देखे गए, बस दोनों पार्टियों ने एक बात ठान रखी है की विरोधी खेमे का कोई नेता प्रमुख न बनने पाए, फिर चाहे इसके लिए जनता के विकास को दांव पर ही क्यों न लगाना पड़े, इस पूरे मामले को देख कर तो यही कहा जा सकता है की यहां सहयोगी भी दल बदल देते है तो सदस्याओं से क्या शिकायत। ऐसा नहीं है की यहां नेताओं की कमी है या नसियत देने वालों की कमी है, लेकिन कमी है तो सवछ राजनीति की, अगर इसी प्रकार दलों की अदला बदली जारी रही तो आने वाले समय नहीं भाजपा कांग्रेसियों का विरोध कर पाएगी, नहीं कांग्रेस भाजपाइयों का, आज दमन भाजपा में कई कांग्रेसियों ने अपनी अपनी जगह बना ली है, तो सत्ता बदलने के बाद यह भी मुमकिन है की भाजपाई कांग्रेसियों में अपनी जगह तालाशने निकले।
इस मामले में समय रहते दमन के प्रमुख राजनीतिज्ञों को इस बात पर मंथन करने की जरूरत है की जनता के विकास का सपना कैसे पूरा होगा, यह और बात है की वह भी इसी जनता का हिस्सा है लेकिन उन्हे जिस प्रकार प्रशासनिक तबज्जों मिलती है जनता उस प्रकार प्रशासनिक तबज्जों नहीं मिलती।
इतने बदलाव के बाद भी आज दमन नगर निगम क्षेत्र साफ सफाई, स्वछ पानी और खराब सड़कों के अभाव के संत्रास को झेल रही है।