
इस फ़ोटो में आपको जो लोग दिखाई दे रहे है उन्हे देखकर आपको क्या लगता है? यकीन मानिये आज़ यह जिस परिस्थिति में दिखाई दे रहे है वही परिस्थिति इनकी 2014 लोकसभा में भी थी और 2009 लोकसभा चुनाव में भी। इनहोने कई चुनाव देखे, कई वादे सुने, हर बार दरी पर बैठे। इसके बावजूद इनकी परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। इनमे से एक भी करोड़पति से गरीब नहीं हुआ है। यह और बात है की इनसे वोट लेने वाले कई गरीब नेता करोड़पति हो गए। बड़े ताज्जुब की बात है कि जिनके सामने और जिनके लिए यह लोग जमा हुए और जमीन पर दरी डालकर बैठे, उनकी आय में दिन दुगनी, रात चौगुनी तरक़्क़ी आंकी गई। लेकिन यह सब इन गरीबो को नहीं पता होगा। क्यो की इन्हे तो पता ही नहीं करोड़ क्या होता है, पेन कार्ड क्या होता है! यह तो वो लोग है जो बस इसी आस में यहां खीचे चले आए की इस बार शायद इनके काम की बात हो। वास्तव में होगा क्या? यह अभी बता दिया तो नीचे दरी में बैठने वाले भी बुरा मान जाएंगे और ऊपर मंच पर बैठने वाले भी, इस लिए कुछ सवाल और सवालो का जवाब भविष्य पर छोड़ देते है समय और इतिहास कभी किसी के साथ भाई भतीजवाद नहीं करता, वह हिसाब किताब करने और उस हिसाब किताब को इतिहास के लिए सँजोए रखने में सक्षम है।