
- आम आदमी से करोड़पति तक के सफर की कहानी जल्द प्रकाशित करेगी, क्रांति भास्कर।
- क्या प्रमुख आय का स्तोत भ्रष्टाचार है?
- क्या स्थापित संसाधन एवं उधोग केवल एक मुखोटा?
- घर के तमाम सदस्य सक्रिय राजनीति में फिर भी कारोबार एवं आम्दानी के स्त्रोत शिखर पर कैसे?
गरीब रोजगार को तरस जाता है, मेहनत मजदूरी करने के बाद भी अमीर बनाने का ख्वाब उसे हर दिन सताता है, और जन प्रतिनिधि समाज सेवा कर करोड़ों के मालिक बन जाते है, यह बड़े चौकाने वाली बात है। जहां आम आदमी के पारवार में से एक सदस्य को रोजगार बड़ी मुश्किल से मिलता है वहीं नेताओं का पूरा परिवार रोजगार जैसी नदियों में रोज स्नान करता है, भला यह कैसे मुमकिन है कि नेताओं के कारखाने एवं उनकी कमाई के स्त्रोत आम आदमी से अधिक देखे जाते है, जहां नेताओं की व्यस्तता चरम पर रहती है वहीं उनके रोजगार एवं आम्दानी के स्त्रोत भी उसी चरम पर देखे जाते है, यह सोचने वाली बात है, हालांकि इस मामले में अलग अलग लोगों की अलग अलगा राय है, लेकिन जनता इस का कारण भी भलीभाँति जानती है तथा आमदनी के स्त्रोत भी। एक ऐसा ही मामला दामन में सामने आया है। दमन के नेता दहया भाई पटेल, जिनहोने दमन-दीव की राजनीति में वो कामयाबी हांसील कि थी, जिसकी परिकल्पना करना भी अन्य के लिए कठिन प्रतीत होता है, उक्त नेता के पुत्र केतन पटेल भी राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने हेतु सक्रिय हो गए। नेता दहया भाई की पत्नी ने भी राजनीति में सक्रिय है, तथा पुत्र जिग्नेश पटेल जिनको नेता तो नहीं, लेकिन एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है। इस परिवार के लगभग सभी सदस्य सक्रिय राजनीति में देखे गए। लेकिन यही से आम जनों के मन में सवाल खड़े होते है, कि घर के तमाम सदस्य सक्रिय राजनीति में होने के उपरांत भी अपने कारोबार एवं रोजगार के साथ साथ आम्दानी के स्त्रोतों को शिखर पर कैसे पहुचा दिया, आखिर इन नेताओं की व्यस्तथा पहले से ही इतनी अधिक देखी जाती है तो उक्त नेता अपने रोजगार हेतु साथपित किए गए संसाधनों को समय कैसे दे पाते है यह सोचने वाली बात है। वहीं जहां इनकी व्यस्तथा चरम पर है तो इनकी आम्दानी भी शिखर पर है, आम जनता की माने तो इन नेताओं की प्रमुख आय का स्तोत भ्रष्टाचार है तथा इनके द्वारा स्थापित किए गए संसाधनों को केवल एक मुखोटे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, वहीं जितनी अधिक इनकी संपत्ति बताई जाती है उतनी इनकी भ्रष्ट नीति बताई जाती है। हालांकि दमन की जनता इनकी संपत्ति को देख इनकी नीति और नियत का आंकल कर चुकी है, देखना है इस मामले में प्रशासन किसी जांच का अंकल करते है या नहीं, वहीं जनता की माने तो इनकी सत्ता भी इनकी भ्रष्ट नीति एवं भ्रष्टाचार के दम पर टिकी है, वरना विरोधियों की वाह-वाह इस दौर में मुमकिन नहीं, और इन्हे तो विरोधियों का साथ भी मिला हुआ बताया जाता है।