
संध प्रदेश में स्थित खेमानी डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड और इस इकाई के आका सदेव ही किसी ना किसी मामले को लेकर चर्चा में रहे है। मामला चाहे भ्रष्टाचार का हो, कर चोरी का हो या पर्यावरण को बर्बाद करने का, उक्त इकाई तथा उक्त इकाई के आकाओ ने लगता है लगभग सभी मामलो में महारथ हासिल कर रखी है। वैसे इस वक्त पर्यावरण जो मामला है वह पर्यावरण से संबन्धित है तो केवल उसी पर बात करते है, बाकी बची दो महारथों का लेखा-जोखा किसी और अध्याह में अवश्य परोसा जाएगा। बात यह है कि खेमानी डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी शराब का उत्पादन करती है तथा उक्त इकाई से जनता एवं समुंदरी मछलिया कितनी परेशान है यह हमे बताने की आवश्यकता नहीं बल्कि इस मामले की जानकारी दमन से लेकर दिल्ली तक उन तमाम अधिकारियों को है जिंका जिम्मा है पर्यावरण की रक्षा करना।
दमण के पर्यावरण तथा दमण गंगा नदी को प्रदूषित करने वाली खेमानी डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड तथा रॉयल डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड के बारे में क्रांति भास्कर को वर्ष 2015 में यह पता चला था की वर्ष 2010 से खेमानी डिस्टलरी तथा रॉयल डिस्टलरी दोनों के पास प्रदूषण नियंत्रण समिति का कनसंट नहीं है। जब क्रांति भास्कर को इस बात पर यकीन नहीं हुआ तो क्रांति भास्कर इस मामले में मिली जानकारी को पुख्ता करने के लिए तत्कालीन सदस्य सचिव डेबेन्द्र दलाई के पास पहुंची और उनसे पूछा की क्या खेमानी डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड तथा रॉयल डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड के पास वर्ष 2010 से पीसीसी का कनसंट नहीं है? तत्कालीन सदस्य सचिव ने इस बात को सही बताया और कहा की यह सही बात है, खेमानी डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड तथा रॉयल डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड के पास वर्ष 2010 से पीसीसी का कनसंट नहीं है और वह शराब उत्पादन कर रहा है। इस मामले की जानकारी मिलने के बाद तत्कालीन सदस्य सचिव से पर्यावरण संबन्धित तथा खेमानी डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड तथा रॉयल डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड से संबन्धित कई सवाल किए गए लेकिन उन तमाम सवालो पर तत्कालीन सदस्य सचिव चुप्पी साधे बैठे रहे।
लेकिन इस मामले में क्रांति भास्कर ने अपनी पड़ताल जारी रखी और दिनांक 23-03-205 को एक खबर प्रकाशित कर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति से इस मामले में तत्काल संज्ञान लेने को कहा, इस मामले में खबर प्रकाशित करने के बाद जब क्रांति भास्कर की टीम ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति के तत्कालीन सदस्य सचिव तथा तत्कालीन अध्यक्ष से भी बात की तब इस मामले की जानकारी पाकर उक्त अधिकारियों के होश उड़ गए। आखिर क्रांति भास्कर की खबर सही साबित हुई और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति की दखल एवं निर्देश के चलते दमन-दीव प्रदूषण नियंत्रण समिति के सचिव को खेमानी डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड तथा रॉयल डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड को क्लोज़र नोटिस जारी कर बिजली काट दी गई।
- संध प्रदेश दमण में इकाइयो के प्रदूषण से जनता के साथ साथ समंदर में तेरने वाली मछलिया भी परेशान है!
- पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली इकाई पर पर्यावरण बचाओ का नारा देने वाले अधिकारियों की अंधी-मेहरबानी!
लेकिन कुछ ही समय बाद खेमानी डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड तथा रॉयल डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड दोनों इकाइयो को, दमन-दीव व दानह के अति-भ्रष्ट कहे जाने वाले तत्कालीन सदस्य सचिव दलाई द्वारा कनसंट रिनयू जारी कर दिया गया। कनसंट जारी करने के बाद खेमानी डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड की मांग पर दमन-दीव पीसीसी के तत्कालीन सदस्य सचिव द्वारा मोलासिस इस्त्माल करने की स्वीकृति भी दे दी गई, मिली स्वीकृति का समय समाप्त होने के बाद जब उक्त इकाई ने पुनः नई स्वीकृति मांगी तब भी पीसीसी के सदस्य सचिव ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली इस इकाई पर महरबानी दिखाते हुए फिर से मोलासिस इस्त्माल करने की स्वीकृति दे दी। इसके बाद भी पर्यावरण को बर्बाद करने का मामला नहीं थमा, एक के बाद एक ऐसे कई आदेश और निर्देश जारी हुए जो खेमानी डिस्टलरी तथा रॉयल डिस्टलरी के हक में दिखाई देते हो, दिन ब दिन खेमानी डिस्टलरी तथा रॉयल डिस्टलरी के संचालक अशोक खेमानी की मीटिंगे दमन-दीव के बड़े बड़े अधिकारियों के साथ होती रही और दिन ब दिन खेमानी डिस्टलरी तथा रॉयल डिस्टलरी के संचालक, अशोक खेमानी, दमन-दीव प्रशासन से उन तमाम फाइलों को पास करवाता रहा, जो किसी ना किसी कारण रुकी हुई थी।
आज वही खेमानी डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड पर्यावरण मंजूरी के लिए आवेदन किए हुए है, जानकारी के अनुसार खेमानी डिस्टलरी ने 100 करोड़ के प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी मांगी है। अभी हालही में डीआईए हाल में पर्यावरण मंजूरी के लिए, जन सुनवाई रखी गई थी लेकिन उक्त जन सुनवाई में जनता की कितनी थी और इकाई के अपने लोग कितने इसका पता तो जांच एजेंसी लगाए, वैसे क्रांति भास्कर को कुछ ऐसे दस्तावेज़ मिले है जिनहे देखकर लगता है जन सुनवाई भी सवालो के घेरे में आती नजर आ रही है और जन सुनवाई करने वाले अधिकारी भी, जानकारी यह भी मिली है की उक्त जन सुनवाई से पहले ही खेमानी डिस्टलरी को दमन-दीव पीसीसी द्वारा ग्रेन-बेस्ड डिस्टलरी का कनसंट जारी किया जा चुका था, इतना ही नहीं बताया यह भी जाता है की पर्यावरण मंजूरी के बीना ही उक्त इकाई ने ग्रेन-बेस्ड डिस्टलरी के लिए प्लांट तथा मशीनरी मंगवाली और उत्पादन शुरू कर दिया, लेकिन इन तमाम मामलो से जुड़े दस्तावेजो की अभी ठीक तरह से पड़ताल बाकी है जब क्रांति भास्कर की पड़ताल पूरी होगी तब पता चलेगा की इस मामले की कितनी परते भ्रष्टाचार के कागज से ढकी हुई ओर कितने अधिकारियों के मुह पर उक्त काजल लगने वाला है।
वैसे अब तक वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा बनाए गए नियमों को धतता बताने वाली उक्त इकाई द्वारा बरती गई अनियमितताओं को देख कर यही लगता है की इकाई के संचालक अशोक खेमानी को दमण तथा दिल्ली में कोई अंतर दिखाई ही नहीं देता, या फिर उक्त इकाई के संचालक को दमन-दीव के उन तमाम कथित भ्रष्ट अधिकारियों की दोस्ती पर पूरा भरोसा है जिनहोने उक्त इकाई का नियम वीरुध जाकर भी साथ दिया। शेष फिर।