मेहनत करे मुर्गा, अण्डा खाए फकीर।

दमन-दीव व दानह में वर्षों से अपनी सेवा देने वाले अधिकारियों के साथ अन्याय किया जा रहा है या यहां की प्रशासन ने इनके हकों को दिल्ली से आए दानिक्स अधिकारियों में बांट रही है, यह सवाल इस लिए भी है कि नहीं यहां काम करने वाले अधिकारियों को उनके पूरे हक मिलते दिखाई दे रहे है नहीं पूरी पगार, जिन पदों पर काम करवाया जाता है उन पदों की पगारें तो कोई और ही हजम करता दिखाई देता है, भला यहां की प्रशासन की ऐसी करतूतों पर दोनों संध प्रदेशों के सांसदों ने कैसे चुप्पी साध रखी है, यह बड़ी चौकाने वाली बात है! संध प्रदेश दमन-दीव व दानह में एसे कई अधिकारी है जिनकी पदोन्नति लम्बे समय से लंबित है, जिसका एक कारण यह भी है की यदि दमन-दीव व दानह के अधिकारियों की पदोन्नति कर दी गई तो दिल्ली से आए दानिक्स अधिकारी कहां जाएंगे, आपको शायद यह मामला पूरी तरह से समझ न आया हो, और मामला है भी इतना पेचीदा की दमन-दीव व दानह के अधिकारी भी शायद इसे आसानी से नहीं समझ पाएंगे।

ज्ञात हो कि दानह एवं दमन-दीव में कई दानिक्स अधिकारियों को भिन्न-भिन्न विभागों का कार्यभार दिया गया है, और सालों से यहां यही परम्परा चली आ रही है। लेकिन आप को शायद यह पता नहीं होगा की कई दानिक्स अधिकारी ऐसे है जिनको उन विभागों के मुख्या एवं पदों के नाम से पगार मिलता है जिन विभागों से इन दानिक्स अधिकारियों का कोई लेना-देना ही नहीं होता। दिल्ली से दानिक्स अधिकारी आते है और दानह एवं दमन-दीव के उन विभागों के विकास की बात करते है जिनका नक्सा इन्हे पहले कभी देखा ही नहीं, और ताजज़ूब करने की बात यह है की प्रशासन की इस चाल का जवाब नहीं भाजपा के सांसद नट्टू पटेल के पास है,

  • दानह एवं दमन-दीव के दानिक्स अधिकारियों को पगार कहां से मिलती है, आपको जानके बड़ी हेरानी होगी कि यहां के दानिक्स दमन-दीव व दानह के अधिकारियों के नाम की पगार खा रहे है। जबकि जिन विभागों के अधिकारियों के नाम की पगार दानिक्स लेते है उन विभागों के उन पदों से उनका कोई लेना-देना ही नहीं, फिर यहां के दानिक्स उन विभागों के अधिकारियों की पगार कैसे ले सकते है जहा वह काम तक नहीं करते। अब आप यह सोच रहे होंगे की जब दानिक्स जिन विभागों के अधिकारियों की पगार लेते है और वहाँ काम नहीं करते तो आखिर उन विभागों का काम किसके जिम्मे है, और उन विभागों के अधिकारियों का काम कौन कर रहा है, तो आप को बता दे की उन विभागों के अधिकारियों का काम उसी विभाग केअन्य अधिकारियों से अतिरिक्त पदभार देकर करवाया जाता है।
  • गोल-माल यह है कि पहले तो दमन-दीव व दानह के अधिकारियों की पोनन्ति रोकी गई, ताकि उनकी कुर्सी खाली बताई जाए और उस पद एवं कुर्सी के लिए केंद्र से आने वाला पगार किसी ऐसे अधिकारी को दे दिया जाए जिसका उस से कोई लेना-देना नहीं, यदि ऐसा नहीं किया जाता तो दमन-दीव एवं दानह में नहीं कोई दानिक्स अधिकारी को पगार मिलता, नहीं यहां दानिक्स अधिकारी काम करते देखाई देते, लेकिन यह पूरा माजरा देखकर लगता है केवल दानिक्स अधिकारियों के पगार का रास्ता खुला रखने के लिए दमन-दीव व दानह के कई अधिकारियों की पदोन्नति प्रशासन रोके बैठा है। केवल मामला यही तक नहीं रुकता है जिन विभागों के अधिकारियों का पगार दानिक्स अधिकारी लेते है उन विभागों के अधिकारियों का काम एंव कार्यभार दमन-दीव व दानह के जूनियर अधिकारी कर रहे है।
  • तो पहला कारण तो यह है की यदि स्थानिय अधिकारियों को समय पर पदोन्नति दे दी गई तो वह उस पद पर नियुक्त हो जाएंगे जिन पदों के नाम से दानिक्स अधिकारियों को पगार मिलता है, जिस से साफ जाहिर होता है की स्थानिय अधिकारियों की पदोन्नति से दानिक्स अधिकारियों को दिए जाने वाले पगार का जरिया बंद हो जाएगा, जिससे दानिक्स अधिकारियों के पगार को लेकर प्रशासन को कोई और विकल्प तलाशना होगा, तथा स्थानिय अधिकारियों की समय पर पदोन्नति से उन विभागों में कई पद रिक्त हो जाएंगे, जिससे उन विभागों में नइ नियुक्तियाँ एवं भर्ती होगी, लेकिन शायद प्रशासन यहां नहीं नई नियुक्तियाँ करने में इच्छुक दिखाई देती है, नहीं स्थानिय अधिकारियों की समय पर पदोन्नति करने में, जिसका प्रमुख कारण है दानिक्स अधिकारियों की पगार।
    जब तक दानिक्स अधिकारी, अन्य अधिकारियों कि पगार लेते रहेंगे, और उन अधिकारियों की पदोन्नति नहीं की जाएगी, तब तक वह उन विभागों में नई नियुक्तियों की संभावनाए भी नहीं बनेगी, तथा इस मामले से सीधा-सीधा यह भी कह सकते है की नए अधिकारियों की नियुक्तियों में रोड़ा बने है दानिक्स अधिकारी।

नहीं दमन-दीव के सांसद लालू भाई के पास, और इस मामले में कभी कांग्रेस ने कभी आवाज उठाई होगी यह दिखाई नहीं देता। जबकी दोनों सांसदों द्वारा चुनावों में स्थानिय जनता से यह वादा रहा है की नहीं स्थानिय जनता के हकों को लेकर कोई लापरवाही बरती जाएगी, नहीं किसी प्रकार की ढील इस मामले में होने देंगे, लेकिन फिलवक्त के इस मामले से देख-कर लगता है स्थानिय अधिकारी अपने हकों को छोड़ दानिक्स अधिकारियों की हाजरी बजाते नजर आ रहे है, जबकी कई ऐसे अनुभवी अधिकारी दमन-दीव व दानह में जो अन्य विभागों के अतिरिक्त-प्रभारों का पदभार लेने हेतु काबिल बताए जाते है, इनमे दानह के कुछ अधिकरियों के नाम इस प्रकार है, एन-सी गांधी, विजय परमार, पी-पी परमार, डाक्टर डूंगरालिया, प्रशांत जोशी, नम्रता परमार, एवं अन्य कई अनुभवी अधिकारियों को प्रशासन अतिरिक्त प्रभारों का कार्यभार दे सकती है, तथा दानिक्स अधिकारियों की बढ़ती संख्या में कमी लाई जा सकती है, साथ ही साथ दमन-दीव व दानह के अनुभवी अधिकरियों को अतिरिक्त प्रभार देने का एक और भी कारण बताया जाता है कि इन्हे यहां के कार्यालयों एवं विभागों के साथ स्थानिय आम जनता की जरूरतों की जानकारी भी उन दानिक्स अधिकारियों से अधिक है जिन्होने शायद इस पूरे क्षेत्र का मुआइना भी अभी तक ठीक से नहीं किया होगा।