मानसिक रूप से त्रस्त होकर, सिलवासा में पीडब्ल्यूडी इंजीनियर ने की आत्महत्या।

मानसिक रूप से त्रस्त होकर, सिलवासा में पीडब्ल्यूडी इंजीनियर ने की आत्महत्या। | Kranti Bhaskar
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संघ प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली में पीडब्ल्यूडी विभाग के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर ने गले में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. एक्जीक्यूटिव इंजीनियर एस.एस. भोया ने अज्ञात कारणों से गले में फांसी लगाकर मंगलवार रात को आत्महत्या कर ली. बताया जाता है कि सिलवासा स्थित अपने घर में पंखा के हुक के साथ नायलोन की रस्सी बांधकर उन्होंने खुदकुशी कर ली. हालांकि आत्महत्या के स्पष्ट कारणों का पता नहीं चल पाया है. घटना से प्रशासनिक अधिकारियों में शोक का माहौल व्याप्त हो गया. मंगलवार शाम को वह एक महत्वपूर्ण सरकारी मीटिंग   में शामिल होकर अपने घर आये और बाद में उन्हें काम होने की बात कहकर अपने रूम में काम करने के लिए गये एवं परिवार के सदस्य सो गये थे. बुधवार सुबह करीब 6 बजे उनकी पुत्री स्कूल जाने के लिए उठी एवं उनके रूम में गयी तब पंखा के साथ लटकी अपने पिता की लाश देखकर हैरान हो गयी. घटना के संबंध में पुलिस को सूचित किया गया. सूचना मिलने पर पुलिस भी भोया के निवास स्थान पर पहुंची और आगे की कार्यवाही शुरू की. पूरे घटना में महत्वपूर्ण कहा जा सके ऐसी सुसाइट नोट पुलिस के हाथ लगी है, जिसमें मौत की भेंट चढऩे से पूर्व इंजीनियर ने बताया था कि वह मानसिक रूप से काफी त्रस्त हो गये है एवं अब उनमें सहनशक्ति नहीं रही, उन्होंने कोई भी ऐसी स्थिति के बारे में सुसाइट नोट में आक्षेप नहीं किया है. मात्र अपने परिवार का ध्यान रखने के लिए बात कही है. खासकरके पूर्व सांसद सीताराम गवली, जो उनके साढूंभाई है उन्हें उल्लेखकर इस नोट में बताया है कि मेरे परिवार का ध्यान रखना. मानसिक रूप से वह काफी थक गये है एवं इसके कारण उनके द्वारा यह कदम उठाने की बात सुसाइट नोट में उल्लेख किया गया है.
अत्यंत सौम्य स्वभाव एवं मृदुभाषी एस.एस. भोया के कार्यकाल के दौरान कई बड़े विकास के कार्य दानह में हुए है. जिसमें कौचा ब्रिज, डोकमरडी ओवर ब्रिज, पीने के पानी की महत्वपूर्ण योजना, नया सॢकट हाउस सहित अनेक काम हुआ है. दानह प्रशासन को निष्ठापूर्ण सेवा करने वाले इंजीनियर की कमी खलेगी.
क्यों मौन है पूर्व सांसद व आदिवासी नेता मोहन डेलकर?
सिलवासा में पीडब्ल्यूडी विभाग के चीफ एक्जीक्यूटिव इंजीनियर एस.एस.भोया के खुदकुशी मामले में दादरा एवं नगर हवेली के पूर्व सांसद व आदिवासी नेता मोहन डेलकर क्यों चुप है? इस घटना के संदर्भ में उनकी ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है. जबकि वह 5-6 बार प्रदेश का प्रतिनिधित्व संसद सदस्य के रूप में लोकसभा में कर चुके है. ऐसे में इस घटना के बारे में अब तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आना यह जो सोचने वाली बात भी है. मोहन डेलकर, प्रदेश में आदिवासी नेता के रूप में भी जाने जाते है. फिर भी चीफ इंजीनियर के आत्महत्या मामले में अब तक वह मौन?