
संध प्रदेश दमन-दीव प्रशासन आखिर किस तरह की नीति के तहत जनता का विकास कर रही है तथा किस तरह का भेद-भाव दमन-दीव की भोली-भाली जनता के साथ किया जा रहा है यह सवाल आज प्रशासन के सामने फन उठाए खड़ा है। यह सवाल इस लिए किया जा रहा है क्यों की दमन-दीव में प्रशासक पद पर प्रफुल पटेल की नियुक्ति के बाद से अब तक, कई मामलों में गरीबों पर प्रशासन की गाज और अमीरों को प्रशासन का विशेष साथ देखने को मिला है।
संध प्रदेश दमन-दीव में पिछले काफी कम समय में, दर्जनों जगहों पर प्रशासन द्वारा अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया गया, एक के बाद एक कर, कई अवैध तथा मनमाने निर्माणों पर प्रशासन ने बड़ी निर्ममता से बुलडोजर चलाया, चाहे मोटी दमन हो या नानी दमन का कोस्टल हाइवे, किसी भी अवैध तथा मनमाने निर्माण पर किसी तरह की कृपा नहीं दिखाई गई, जिसने भी नियमों का उलंधन किया उसे रास्ते से हटा कर जमीदोष कर दिया गया, ना ही किसी प्रकार का अतीतिक्त समय दिया गया ना ही किसी प्रकार की अतिरिक्त महोल्लत, बस अशिक्षित गरीबों को निर्माण नियमों के उलंधन का हवाला देकर उनसे वह आशियाना भी छीन लिया जिससे उसके परिवार का गुजर-बसर होता था।
कहां गए जनता के हकों की बात करने वाले जनप्रतिनिधि?
जब प्रशासन का बुलडोजर जनता के घरों और दुकानों पर पहुंचा था तब ना जाने दमन-दीव के सांसद महोदय किस मीटिंग में व्यस्त थे, ना जाने दमन-दीव के भाजपा अध्यक्ष गोपाल टंडेल किस मीटिंग में व्यस्थ थे, ना जाने दमन-दीव के कांग्रेस अध्यक्ष और उची कोठी में बड़े-बड़े कुत्ते पालने वाले, केतन पटेल किस मीटिंग में व्यस्त थे, जनता ने खूब इधर उधर देखा की उनका घर बचाने कोई तो उनकी मदद को आएगा, कोई तो उन्हे प्रशासन से थोड़ा और समय दिलाएगा, ताकि जो पूंजी इस निर्माण में जमी-दोष होने वाली है उसका कुछ अंश तो सँजोए रख सके, लेकिन जनता शायद उस एक बात भूल गई थी, कि चुनावी मेंढक केवल बरसात में ही बाहर आते है!
जब आम गरीब जनता के घरों पर बुलडोजर चल रहे थे तब उनके मन में एक सवाल यह भी था कि क्या केवल गरीब पर ही प्रशासन अपना ज़ोर दिखाएगी या उन अमीरों पर भी कभी प्रशासन का कहर बरसेगा जिनकी बड़ी-बड़ी बहुमंजिला इमारते और होटले निर्माण नियमों की अनदेखी करने के बाद भी प्रशासन की छाती पर फन उठाए खड़ी है, उस वक्त जनता के मन में जो सवाल था वह सवाल आज भी कायम है।
आज भी बड़ी बे-फिकरी और दादागिरी के साथ निर्माण नियमों का उनधन करने के बाद भी दमन में ऐसी कई बड़ी-बड़ी बहुमंजिला इमारते और होटले खड़ी है जिनहोने अभी तक प्रशासन के बुलडोजर का दीदार नहीं किया, जिसका मुख्य कारण है की उनकी उची पहुंच और उनके सामने साबित होती बोनी प्रशासन।
देवका रोड़ पर स्थित किसी होटल पर क्यों नहीं चला बुलडोजर?
वैसे मोटी दमन और नानी दमन दमन में प्रशासन का बुलडोजर चलने के कुछ समय बाद, दमन की देवका रोड पर स्थित होटलो के मनमाने निर्माण पर प्रशासन द्वारा कार्यवाही की जाने की चर्चा उठी थी, लेकिन उस चर्चा को दबाने के लिए प्रशासन के अधिकारियों ने होटलों से कितना खर्चा लिया अब तो यह भी प्रशासन के सिर पर जनता का एक अतिरिक्त सवाल है? प्रशासन को इस सवाल का जवाब भी देना पड़ेगा की अवैध निर्माणों पर सख्ती दिखाने वाली प्रशासन आखिर क्यों चंद अवैध निर्माणों पर नरमी बारात जनता को प्रशासन की खिल्ली उड़ाने का मौका देती है? आखिर क्या कारण और कोसनी ताकत है जिसके चलते बड़े बड़े कारोबारियों की बड़ी बड़ी अवैध इमारते भी सलामत रह जाती है यदि प्रशासन पूँजीपतियों की अवैध इमारतों पर कार्यवाही नहीं करने वाली तो दमन की गरीब जनता को वह मूल-मंत्र तो बता दे जिससे दमन की गरीब जनता अपने अवैध आशियाने को प्रशासन के बुलडोजर से बचाए रख सके।
क्या समाहर्ता संदीप कुमार ने यह कहा था कि सभी अवैध इमारतों के मालिक को बिजली-पानी काटने की धम्की देकर बुलाओ, उनसे अच्छे खासे धन की उगाही करनी है?
वैसे इसके बाद अवैध निर्माण और अवैध इमारतों के बिजली पानी काट देने की भी चर्चा जोरों से हुई। सुनने में आया था की समाहर्ता संदीप कुमार ने आनन-फानन में यह कह दिया की जितनी भी इमारते अवैध है तथा जितनी भी इमारतों में निर्माण नियमों का उलंधन हुआ है उन सभी इमारतों के बिजली-पानी कनेकसन काट दो।
जैसे ही समाहर्ता संदीप कुमार ने अवैध इमारतों से बिजली-पानी के कनेकसन काटने को कहा वैसे ही बीन बुलाए ही ना जाने दमन की तमाम अवैध इमारतों के मालिक, दमन नगर निगम कार्यालय में आ पहुंचे। दमन के कई जाने माने बिल्डर ऐसे दमन नगर निगम में एक साथ उपस्थित हो गए जैस उन्हे पक्का पता हो की उनके द्वारा बनाई गई इमारत सत-प्रतिशत अवैध है और उनही की इमारत के बिजली पानी काटने की बात समाहर्ता संदीप कुमार द्वारा कही गई है। अब समाहर्ता द्वारा की गई इस गोपनीय बात को किसने बिजली की रफ्तार से, सभी अवैध इमारतों के मालिक तथा बिल्डरों के पास पहुचाया यह तो अपने आप में एक बड़ा सवाल है?
सवाल यह भी है कि क्या समाहर्ता संदीप कुमार ने यह कहा था कि सभी अवैध इमारतों के मालिक को बिजली-पानी काटने की धम्की देकर बुलाओ, उनसे अच्छे खासे धन की उगाही करनी है? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए प्रशासक प्रफुल पटेल को इस मामले में सीबीआई जांच करवानी होगी। यदि किसी तरह यह मान लिया जाए की समाहर्ता संदीप कुमार का उद्देश्य बिल्डरों से वसूली करना नहीं था, तो फिर उन बिल्डरों को कैसे पता चला की उनकी इमारतों के बिजली-पानी काटे जाने वाले है, और यदि समाहर्ता की मंशा नियमों का पालन करने की थी तो फिर समाहर्ता संदीप कुमार ने जिन अवैध इमारतों के बिजली और पानी के कनेकसन काटने की बात कही थी उन अवैध इमारतों के बिजली-पानी के कनेकसन काटे क्यो नहीं? क्रांति भास्कर के पास इस मीटिंग का एक फोटो है और इस फोटो में दमन नगर निगम अध्यक्ष शोकत मिठानी एवं बिल्डरों के साथ भाजपा अध्यक्ष गोपाल टण्डेल भी मौजूद है इस फोटो में भाजपा अध्यक्ष गोपाल टण्डेल की मौजूदगी भी कई सवाल खड़े करती है लेकिन इस पर फिर कभी विस्तार से चर्चा करेंगे।
मोटी दमन सचिवालय के पास भी कई अवैध निर्माण, प्रशासन की छत्रछाया में सलामत।
इसके अलावे मोटी दमन एवं नानी दमन में स्थित कई निर्माण ऐसे है, जिनहे भारतीय पुरातत्व विभाग अवैध बता चुकी है, कई निर्माण तो मोटी दमन किले में भी स्थित बताए जाते है, इसी मोटी दमन किले में प्रशासक का निवास स्थान भी है और सचिवालय भी, अब ऐसे क्षेत्र में भी यदि अवैध निर्माण सलामत हो तो प्रशासन के लिए चुल्लू-भर पानी तलाशने की बात है।
25 से अधिक मामले तो पुलिस के पास लंबित, दो वर्षों से अभी तक पुलिस ने एफ-आई-आर तक दर्ज नहीं की।
इतना ही नहीं पिछले 2 वर्षों में, लगभग 25 से अधिक मामलों में, पुरातत्व विभाग द्वारा लिखित रूप में दमन पुलिस को अवैध निर्माणों की जानकारी दी गई तथा अवैध निर्माण जिसके नाम पर है उनके नाम भी दमन पुलिस को दिए और पुरातत्व विभाग द्वारा दमन पुलिस से यह लिखित रूप में कहां गया की उन तमाम अवैध निर्माणों के मालिकों पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए, जब लम्बे समय तक दमन पुलिस द्वारा इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई तो पुरातत्व विभाग के अधिकारी प्रशासक प्रफुल पटेल से भी मिले और उन्हे भी यह जानकारी दी की दमन पुलिस अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रही है, लेकिन प्रशासक प्रफुल पटेल से मिलने के बाद भी तथा अवैध निर्माणों की जानकारी प्रशासक प्रफुल पटेल को देने के बाद भी अब तक वह तमाम अवैध निर्माण सलामत बताए जाते है जिनहे पुरातत्व विभाग अवैध घोषित कर चुका है।
क्या जिन अवैध निर्माणों के मालिकों पर कार्यवाही करने तथा आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए पुरातत्व विभाग दमन प्रशासन के अधिकारियों को कह चुका है उन अवैध इमारतों के मालोकों से भी प्रशासन के अधिकारियों की साठ-गाठ है और प्रशासन के अधिकारियों ने कार्यवाही नहीं करने के लिए रिश्वत ली है?
यदि प्रशासक प्रफुल पटेल ईमानदार है तो उन तमाम इमारतों के बिजली-पानी काटने के आदेश को अमल में लाए और पुरातत्व विभाग द्वारा अवैध घोषित किए गए तमाम निर्माणों को बुलडोजर के दर्शन करवाए, तथा उन तमाम होटलो द्वारा किए गए अतिरिक्त एवं अवैध निर्माण जमीदोष कर, अब तक इन तमाम मामलों में चल रहे अवैध वसूले के खेल की सीबीआई जांच करवाए और पता लगाए की अब तक, किस के हिस्से में कितनी भारतीय मुद्रा आई। लेकिन यदि प्रशासक प्रफुल पटेल अब भी सब कुछ जानकार खामोशी से तमाशा देखते रहे, तो फिर वह दिन दूर नहीं जब जनता उन्हे भी वही तगमा दे देगी जो अब तक के भ्रष्ट अधिकारियों को देती आई है! शेष फिर।
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