
वापी आयकर कार्यालय के ठीक बगल में बन रहे प्रोजेक्ट में काले धन की लेन-देन देखकर लगता है की आयकर अधिकारियों ने देश को गर्त में डालने और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को शर्मशार करने का बीड़ा उठा रखा है ऐसा इस लिए कहा जा रहा है क्यों की एक लंबे समय से प्रधान मंत्री काले धन की लेन देन पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाते रहे है लेकिन आयकर अधिकारियों की कार्यप्रणाली ठीक इसके विपरीत दिखी, आलम यह है की अब आयकर के अन्वेषण कार्यालय के बगल में बन रहे प्रोजेक्टों में भी खुलकर काले धन की लेन देन देखने को मिल रही है।
नागजुआ द पार्क (THE ETERNITY PARK PHASE 1 ) नाम से कई बहुमंजिला इमारतों का प्रोजेक्ट वापी आयकर विभाग के ठीक बगल में चल रहा है बिल्डर उक्त प्रोजेक्ट में कुल 30 टावर के निर्माण का दावा कर रहा है जिसमे पहले चरण में बिल्डर 8 टावर बनाने की बात कर रहा है उक्त 8 टावर में से भी बिल्डर 2 टावर का मालिक ककारिया को बताया जा रहा है।
- बिल्डर के पास पैसे नहीं थे तो दे दिए 2 टावर!
- ककारिया से ली थी जमीन, पैसा नहीं दे पाए तो 2 टावर दे दिए।
- 1500 फ्लेट का प्रोजेक्ट, 1 पार्किंग का 1 लाख दूसरी का 1.5 लाख, अब तक 170 फ्लेट बुक। यहा तो सब खुलेआम चल रहा है अब क्या करेंगे आयकर अधिकारी?
- ग्राहकों को चुना लगाने में अव्वल Nagjua, पार्किंग के नाम पर करोड़ों कि वसूली, ग्राहकों को गलत जानकारी देकर रेरा नियमों का खुलेआम उलंधन।
जानकारी मिली है की नागजुआ द पार्क (THE ETERNITY PARK PHASE 1 ) के बिल्डर अमित अग्रवाल ने उक्त जमीन शुभाष सोमचंद कोटाडीया (कांकरिया) से जमीन खरीदी थी। लेकिन उसे तय समय पर पैसे नहीं दे पाया इसके लिए उसे पैसे के बदले 2 टावर दे दिए। लेकिन यह कैसे मुमकिन है? क्यों की जमीन खरीद बिक्री के दस्तावेज़ तो 2018 में बन चुके है तो ककारिया को पैसा देना बाकी कैसे हो सकता है? रेरा रजिस्ट्रेशन के अनुसार उक्त बहुमंजिला इमारती प्रोजेक्ट THE ETERNITY PARK PHASE 1 के नाम से रजिस्टर है जिसका एक सर्वे नंबर 72/3/1 है तथा क्षेत्रफल 37344 Sq Mtr है 2018 में उक्त जमीन की खरीद बिक्री के जो दस्तावेज़ बने है उसमे जमीन की कीमत 12 करोड़ बताई गई है जबकि उस वक्त जमीन का बाजार भाई कई गुना अधिक था, ऐसे में यह कैसे माना जाए की शुभाष सोमचंद कोटाडीया (कांकरिया) को मतलब जिससे जमीन खरीदी थी उसे पैसे देने बाकी थे और उसे उसके बदले 2 टावर दे दिए गए? बिल्डर अमित अग्रवाल ने उक्त जमीन 12 करोड़ में ख़रीदी, अब इस हिसाब से उक्त जमीन की कीमत प्रति स्क्वेयर फिट 298 रुपये होती है जबकि जमीन का बाजार भाव कई गुना अधिक है तो कहीं ऐसा तो नहीं की दो टावर ब्लेक की रकम के बदले दिए गए?


सच क्या है यह तो जांच एजेंसियों और आयकर विभाग को पता लगाना चाहिए वैसे एक सवाल यह भी है की क्या रेरा ओथोरेटी को यह सब पता है? या फिर आयकर अधिकारियों की तरह रेरा अधिकारी भी आँखों पर पट्टी बांधे नियमों की अनदेखी का तमाशा देख रहे है?
रेरा रजिस्ट्रेशन के अनुसार बहुमंजिला इमारती प्रोजेक्ट THE ETERNITY PARK PHASE 1 जिसका एक सर्वे नंबर 72/3/1 है तथा क्षेत्रफल 37344 Sq Mtr है। उसमे बिल्डर 1300 स्क्वेयर फिट से 2667 स्क्वेयर फिट के फ्लेट की 2650 रुपये से 2900 रुपये के हिसाब से बिल्डर बुकिंग ले रहा है और खरीददार को साफ शब्दो में कहा जाता है की जब तक ब्लेक मनी नहीं दोगे किसी प्रकार का कोई लीगल डोक्यूमेंट नहीं बनाया जाएगा। इतना ही नहीं इसके अलावे प्रत्येक फ्लेट को दी जाने वाली पार्किंग के लिए पहली पार्किंग के लिए 1.5 लाख और बेसमेंट में दूसरी पार्किंग के लिए 1 लाख वसूला जा रहा है, एक फ्लेट खरीदने वाले को दो पार्किंग दी जा रही है जिसके लिए बिल्डर दो पार्किंग का कुल मिलकर 2.5 लाख रुपये वसूल रहा है।
बिल्डर खरीददारों को 30 टावर में कुल 1500 फ्लेट बनाने की बात कर रहा है जबकि रेरा रजिस्ट्रेशन के तहत THE ETERNITY PARK PHASE 1 में दी गई जानकारी कुछ और ही बया करती है। बिल्डर का यह भी कहना है कि THE ETERNITY PARK PHASE 1 में वह 8 टावर बनाएगा जिसमे लगभग 400 फ्लेट होंगे। बिल्डर ने प्रति फ्लेट 2 पार्किंग बेच रहा है यानि कुल 800 पार्किंग बेचेगा जिसकी कुल कीमत 10 करोड़ होती है, जबकि उक्त प्रोजेक्ट कि जमीन खरीद कि कीमत बिल्डर ने 12 करोड़ बताई है। ताज्जुब करने वाली बात तो यह है कि यह सब आयकर विभाग के कार्यालय के ठीक बगल में चल रहा है और आयकर अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे है। वैसे सवाल यह भी है कि जब 30 टावर यानि 1500 फ्लेट का प्लान और प्रोजेक्ट रेरा से पास हुआ भी है या नहीं? और यदि नहीं हुआ तो बिल्डर ग्राहकों को गलत जानकारी उपलब्ध कराकर रेरा नियमों का सरेआम कैसे उलंघन कर सकता है? इतना ही नहीं क्या रेरा अधिकारियों को पता है कि बिल्डर पार्किंग बेचकर पैसे वसूल रहा है? क्या बिल्डर ने पार्किंग के नाम पर पैसे वसूलने के लिए रेरा से कोई विशेष स्वीकृति ली है? यदि नहीं तो रेरा को इस मामले में सख्त से सख्त कार्यवाही करनी चाहिए, बिल्डर का कहना है कि उनसे अब तक 170 फ्लेट कि बुकिंग ले ली है मतलब बिल्डर ने 170 फ्लेट ख़रीदारों से काला धन भी लिया और पार्किंग के लिए अलग से पैसों कि वसूली भी की। उक्त पूरे मामले को देखते हुए ऐसा लगता है कि यदि आयकर विभाग एवं रेरा अधिकारी मिलकर उक्त बिल्डर के सभी प्रोजेक्टों कि बारीकी से जांच करें तो करोड़ों कि टैक्स चोरी के साथ साथ ग्राहकों के साथ बड़ी धोखाधड़ी का सच सामने आ सकता है। वैसे क्रांति भास्कर इससे पहले भी कई बार खुलेआम काले धन कि लेन देन पर बिल्डरों कि पोल खोल चुकी है लेकिन लगता है अधिकारियों और बिल्डरों कि साठ-गांठ काफी गहरी है और जब तक ऊपर से आर्डर नहीं आता तब तक ना अधिकारी कार्यवाही करेंगे ना ही बिल्डर सरकार को चुना लगाना बंद करेंगे। गांधीनगर में और दिल्ली में बैठे वरीय आयकर अधिकारियों को चाहिए कि वह समय रहते जनता और सरकार को चुना लगाने वालों पर कार्यवाही करें ताकि टैक्स चोरी पर अंकुश लग सके। शेष फिर।