
वापी : गुजरात के वलसाड जिले का वापी शहर एक ओधोगिक नगरी के रूप में जाना जाता है। यहां ना ही उधोगों की कमी है ना ही श्रमिकों की और ना ही होटलो की। लेकिन शायद आपको यह पता ना हो की जिस होटल में आप ख़ाना खाने जाते है उसके किचन में कितनी सफाई है और और उस भोजन में कितने किस्म के कलर-केमिकल है।
क्रांति भास्कर ने इस मामले में कई होटलो के बारे में तथा होटलो में मिलने वाले भोजन ( खाने ) की जांच पड़ताल की तो पता चला की कई होटले एसी है जहां भोजन में ग्राहकों को बे-फिक्र होकर कलर और केमिकल्स युक्त भोजन परोसा जाता है।
इससे भी अधिक हेरानी की बात यह है की अधिकतर ग्राहकों होटल में भोजन करने से पहले ही पता होता है की यहां के भोजन में कलर केमिकल्स मिले हुए है, फिर भी इस बात को नज़र अंदाज करते हुए उक्त ग्राहक वह भोजन करने से नहीं कतराता, वैसे कई ग्राहक ऐसे भी है जिनहे भोजन में मिलने वाले कलर केमिकल्स की जानकारी नहीं होती, जानकारी का अभाव रखने वाले ग्राहक अधिकतर श्रमिक होते है जो मिलो दूरी का सफर कर दो-वक्त की रोटी की तलाश में परदेश आए लेकिन वहा भी शुद्धता के अभाव ने बीमार कर दिया!

वैसे यदि इस मामले को प्रशासन की नज़र से देखा जाए तो होटल मालिक ग्राहकों को कितनी शुद्धता का भोजन परोसता है इसका जिम्मा खाध्य विभाग के अधिकारी का होता है, लेकिन जानकारो का मानना है की विभागीय अधिकारी भी इस मामले को मामूली मामला समझकर वैसे ही नज़र अंदाज कर रही है जैसे की कुछ ग्राहक भोजन की सत्यता जानकार भी उसके जायके से दूरी नहीं बनाते।

समय रहते इस मामले में फूड एंव सेफ़्टी विभाग के अधिकारियों को वापी की होटलो में निरक्षण करना चाहिए और साथ ही साथ होटलो में भोजन करने वाले वाले ग्राहकों को भी इस बात पर ध्यान देना चाहिए की जिस होटल में वह भोजन कर रहे है उस होटल के भोजन की शुद्धता कितनी है।