
वापी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम है। तारीफ़ वापी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए नहीं, बल्कि औधोगिक इकाइयो को मनमाना प्रदूषण फैलाने की अनुमति देकर अपनी जेबे गरम करने के लिए। ऐसा इस लिए कहा जा रहा है क्यो कि वापी में अपनी लंबी सेवा देने वाले क्षेत्रीय अधिकारी अनिल पटेल के बाद वापी को नए अधिकारी गज्जर मिले, लेकिन किसने सोचा था कि गज्जर, तत्कालीन क्षेत्रीय अधिकारी अनिल पटेल से भी दो कदम आगे निकल जाएंगे। अनिल पटेल ने वापी को वृंदावन बनाने का सपना दिखाया था वह सपना तो साकार नहीं हुआ उल्टा गज्जर ने तो एनजीटी से जुर्माना लगवाकर जीपीसीबी को ही शर्मशार कर दिया।
वापी की औधोगिक इकाइयों के प्रदूषण मुद्दे पर दिल्ली एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) द्वारा वापी सीईटीपी पर 10 करोड का जुर्माना लगाया गया है। सीईटीपी पर 10 करोड के जुर्माने से वापी ही नहीं पूरे वलसाड जिले के उधोगों में खलबली सी मच गई है। वापी के इतिहास में यह पहला मामला होगा जब सीईटीपी के प्रदूषण को लेकर इतना बड़ा जुर्माना लगाया गया हो। इस जुर्माने के अलावे एनजीटी ने केंद्रीय प्रशासन को दो कमिटी गठित करने का आदेश भी दिया है।
बताया जाता है की वर्ष-2017 में आर्यवर्त फाउंडेशन द्वारा, एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में एक याचिका दायर की गई थी उसी याचिका की सुनवाई के दौरान नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला सुनाते हुए सीईटीपी पर 10 करोड़ का जुर्माना लगाया और केंद्रीय प्रशासन को दो कमिटी गठित करने का आदेश दिया।
प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों पर एक करोड़ से 25 हजार तक जुर्माना होगा :
एनजीटी ने सीईटीपी को दो कमेटी बनाकर प्रदूषण की मॉनिटरिंग कराने तथा प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है। एनजीटी के आदेश में लगातार प्रदूषण फैलाने और क्लोजर वाली बड़ी कंपनियों को 1 करोड़, मध्यम स्केल इंडस्ट्रीज को 50 लाख और लघु उद्योगों को 25 हजार जुर्माना करने का आदेश दिया है। आने वाले दिनों में प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी।
एनजीटी के इन आदेशो से वापी की औधोगिक इकाइयों की हालत खराब हो गई है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली औधोगिक इकाइयों को यह एक बड़ा झटका है। एनजीटी ने 10 करोड़ का जुर्माना लगाकर यह साफ़ कर दिया की पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी इकाई को बखसा नहीं जाएगा। फिर चाहे उस इकाई पर वापी जीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी गज्जर की कितनी ही मेहरबानी क्यो ना हो। ऐसा इस लिए कहा जा रहा है क्यो कि, उक्त तमाम इकाइयो के उत्पादन पर नज़र रखने तथा तमाम इकाइयो द्वारा छोड़े जा रहे प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए, गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय वापी में स्थित है और उक्त क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्रीय अधिकारी का नाम गज्जर बताया जाता है जिनका यह जिम्मा है की वह उक्त तमाम इकाइयो के उत्पादन पर नज़र रखे तथा बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगा सके। वही इकाइयो पर नज़र रखने के साथ साथ दमन गंगा नदी में सी-ई-टी-पी द्वारा छोड़े जा रहे प्रदूषित गंदे पानी पर भी नियमित नज़र रखने का जिम्मा गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी गज्जर का है।
वापी सीईटीपी द्वारा दमण गंगा नदी में छोड़े जाने वाले गंदे पानी पर जब क्रांति भास्कर की टीम द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ज़ोनल कार्यालय के अधिकारी बी आर नाइडु से सवाल किए तो सीबीसीबी के अधिकारी नाइडु ने बताया कि 15-15 दिनों के अंतराल में वापी जीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी वापी सी-ई-टी-पी प्लांट द्वारा दमन गंगा नदी में छोड़े जाने वाले गंदे पानी का नमूना लेकर जांच करते है तथा बरोड़ा में स्थित सीपीसीबी कार्यालय के अधिकारियों द्वारा 3-3 माह के अंतराल में वापी सी-ई-टी-पी द्वारा दमन गंगा नदी में छोड़े जाने वाले प्रदूषित जल का नमूना लिया जाता है और उस नमूने की नियमानुसार जांच होती है। इतनी देख-रेख के बाद उधोगपति इन तमाम अधिकारियों को चकमा देकर मनमाना प्रदूषण फैलाए यह बात तो हज़म नहीं होती।
बढ़ता प्रदूषण वैसे तो एक आम समस्या हो चुकी है लेकिन इस समस्या से जन-जीवन पर कितना दुष्प्रभाव पड़ता है तथा स्वास्थ्य को कितनी हानी होती है इसका अंदाजा चंद शब्दो में बयां करना बा-मुश्किल है। देखने वाली बात यह है कि हानिकारक प्रदूषण दिखाई भी देता है और महसूस भी होता है, लेकिन इसके एहसास से कोई नांक बंद कर लेता है तो कोई मुंह बंद, लेकिन उसका असर उसके बाद भी पीछा नहीं छोड़ता।
वापी कि दमण गंगा में दिखाई देने वाला काला गंदा पानी उन इकाइयो का है जिनका उत्पादन कई राज्यो में प्रतिबंधित बताया जाता है। आपको शायद ही इस बात की जानकारी हो कि वापी क्षेत्र में ऐसी कई इकाइयां स्थापित है तथा ऐसे पदार्थो का उत्पादन बदस्तूर जारी है जिनके उत्पादन पर भारत देश के कई राज्यो में प्रतिबंध बताया जाता है। केवल इतना ही नहीं वापी में ऐसी भी कई इकाइयां अपना उत्पादन जारी रखे है जिनके उत्पादन पर भारत देश के बाहर अन्य देशो में भी प्रतिबंध बताया जाता है। अब सीधी सी बात है की जिन इकाइयो के उत्पादन पर अन्य राज्य अथवा देशो में प्रतिबंध हो उनके उत्पादन के बाद ऐसे ही केमिलक्स युक्त काले पानी की उम्मीद की जा सकती है।
वापी जीपीसीबी की इस कुर्सी पर बैठने वाले कई अधिकारियों की कार्यप्रणाली और कमाउनीति पर सवाल खड़े होते रहे है कई अधिकारियों की तो शिकायत मुख्यमंत्री और गृह मंत्री तक को की गई लेकिन उक्त तमाम शिकायतों पर आज तक कोई ठोस कार्यवाही देखने को नहीं मिली। अब एनजीटी द्वारा लगाए गए जुर्माने के बाद भी यदि गुजरात सरकार नहीं जागती तो फिर आने वाले समय में उसे इससे भी बड़ी शर्मिंदगी झेलनी पड़ सकती है। इस पूरे मामले पर गुजरात सरकार अब वापी के क्षेत्रीय कार्यालय के संबन्धित अधिकारियों पर क्या कार्यवाही करती है यह तो देखने वाली बात है लेकिन इस एक मामले ने यह तो शिद्ध कर ही दिया है की गुजरात सरकार का उक्त विभाग एवं विभाग के वरीय अधिकारी घोर निंद्रा में है। जनता की यह मांग है की शिकायतों के ढेर का इंतजार किए बिना ही उक्त अधिकारी के कार्यकलापों एवं कमाउनीति की तत्काल एसीबी अथया किसी निष्पक्ष जांच एजेंसी जांच करवाए। शेष फिर।
यह ख़बरे भी पढ़े
- वापी के प्रदूषण का ऐसा नज़ारा इससे पहले आपने नहीं देखा होगा…
- वापी GPCB अधिकारी गज्जर की कमाउनीति का जीता जागता सबूत, दमन गंगा नदी का प्रदूषण!
- वापी के प्रदूषण पर क्रांति भास्कर की ख़ास रिपोर्ट, 15 दिन के अंतराल में गज्जर और 3 माह के अंतराल में नाइडु लेते है नमूना!
- जहरीली गैसों के साये में जी रहे वापी और आस पास के कई गांव